रीवा के यह डॉक्टर आपको निराश नहीं करेंगे, यदि आप भी डॉक्टरों के चयन में हैं परेशान तो यह खबर आपके लिए जरूरी है

यदि आप रीवा या आसपास के हैं और आपको डॉक्टरों के चयन को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन है तो परेशान मत होइए। यह खबर आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। रीवा में वैसे तो कई डॉक्टर हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर सिर्फ कमाने की नहीं सोचते। वह मरीजों का इलाज और हर संभव मदद के लिए आतुर रहते हैं। रीवा में कुछ ऐसे ही डॉक्टर हैं, जो गरीबों को इलाज मुफ्त में भी करने को तैयार रहते हैं। कुछ आधी रात को भी अस्पताल पहुंच जाते हैं। इन्हीं डॉक्टरों की मेहनत के कारण ही रीवा मेडिकल हब की दिशा में सनै सनै एक एक कदम आगे बढ़ रहा है।

रीवा के यह डॉक्टर आपको निराश नहीं करेंगे, यदि आप भी डॉक्टरों के चयन में हैं परेशान तो यह खबर आपके लिए जरूरी है
File photo

कुछ डॉक्टर मरीजों की सेवा में दिन रात नहीं देखते, तुरंत पहुंच जाते हैं
कुछ पद से रिटायर हो गए लेकिन अपनी छाप ऐसी छोड़ी कि अब भी मरीज उन्हें ही तलाशते फिरते हैं
रीवा। डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। लोगों की उम्मीदें और विश्वास रीवा के कुछ डॉक्टरों ने जिंदा रखा है। यह डॉक्टर सिर्फ मरीजों की जान बचाने और सेवा करने का ही काम नहीं करते हैं। इनके पास मरीजों के पहुंचने पर उन्हें इलाज तो मिलता ही है। उम्मीद और प्यार भी मिलता है। डॉक्टरों के लूटखसोट के आगे कुछ डॉक्टर रीवा में ऐसे हैं जो हर पल मरीजों की सेवा में ही लगे हुए हैं। इन डॉक्टरों की सेवाओं के भरोसे ही संजय गांधी अस्पताल हो या जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर दौड़ रही हैं। रीवा में वैसे तो कई और भी चिकित्सक हैं, लेकिन कुछ इनमें भी खास है। जिन पर लोगों का अभी भी विश्वास बना हुआ है।


इनसे ही चल रहा मेडिसिन विभाग
मेडिसिन विभाग की जैसे ही बात आते है तो दिमाग में सिर्फ एक ही नाम डॉ मनोज इंदूलकर का ही सामने आता है। इनसे बेहतर डॉक्टर शायद ही रीवा में कोई हो। मरीजों के प्रति यह हमेशा ही सरल रहते हैं। कभी भी अस्पताल पहुंच जाते हैं। बंगले में आने वाले मरीजों को उचित राय तो देते ही हैं लेकिन लूटखसोट जैसी कभी मंशा नहीं रहती। मरीजों को भर्ती के लिए संजय गांधी अस्पताल ही भेजते हैं। मरीजों के पास यदि फीस के पैसे नहीं है तो वह भी माफ कर देते हैं। डॉ इंदूलकर अपने सहज स्वभाग के कारण जाने जाते हैं। इन्हें अपना मर्ज दिखाने कई जिलों से मरीज पहुंचते हैं। इनके कार्य और मेहनत को लेकर लोग जरूर अचंभित रहते हैं कि यह सोते कब है। सुबह, शाम और देर रात को भी यह एक्टिव नजर आते हैं।


कोई भी हो हर व्यक्ति की मदद के लिए रहते हैं तैयार
संजय गांधी अस्पताल में एक ऐसे चिकित्सक भी है जो अधीक्षक का पद सम्हाले हुए हैं। Dr rahul mishra के नेक दिल के सभी कायल हैं। यह किसी की भी मदद के लिए हर समय तैयार करते हैं। किसी को फटकार लगाने के बाद तुरंत नरम भी हो जाते हैं। किसी का भी नुकसान करने की नहीं सोचते हैं। हर समय अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने और मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने में ही लगे रहते हैं। इनके पास यदि कोई पहुंचता है तो वह निराश नहीं होता। किसी मरीज की सिफारिश पहुंचने पर वह खुद उसके पास देखने पहुंच जाते हैं।
कहीं प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करती
गायनी विभाग में अधिकांश डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रही हैं। इनके अस्पताल संचालित हैं लेकिन इनके बीच में एक ऐसी भी महिला चिकित्सक है जो इन सब से दूर हैं। इन महिला चिकित्सक का नाम संघमित्रा सिंह हैं। इनके पिता भी संजय गांधी अस्पताल में ही चिकित्सक हैं। संघमित्रा सिंह सहायक प्राध्यापक के पद है। यह अस्पताल में ही सेवाएं दे रही है। बिना स्वार्थ के ही मरीजों को उचित सलाह और इलाज उपलब्ध कराती हैं। इसके अलावा डॉ शीतल पटेल और डॉ मोहिता पाण्डेय भी मरीजों को बेहतर इलाज और मागदर्शन के लिए जानी जाती हैं।
हर समय अस्पताल में रहते हैं उपलब्ध
संजय गांधी अस्पताल का आर्थो पेडिक विभाग हमेशा से ही सुर्खियों में रहता है लेकिन यहां भी कुछ ऐसे डॉक्टर हैं, जिनके पास मरीजों के पहुंचने पर उन्हें बेहतर इलाज और मार्गदर्शन मिल ही जाता है। इन डॉक्टरों में डॉ विद्याभूषण ङ्क्षसह, जितेश गावंडे, डॉ शुभम मिश्रा, डॉ पीके वर्मा शामिल हैं। डॉ विद्याभूषण सिंह के मामले में लोगों का कहना है कि यह मरीजों के लिए हर समय उपलब्ध रहते हैं। ड्यूटी समय के अलावा राउंड पर आना इनके रूटीन में शामिल हैं।


बच्चों के सबसे अच्छे और सस्ते डॉक्टर
यदि आपको बच्चों से जुड़ी बीमारियों को इलाज कराना है तो रीवा शहर में जिला टीकाकरण अधिकारी से बेहतर डॉक्टर नहीं मिलेगा। डॉ बीके अग्निहोत्री वैसे तो जिलाभर के बच्चों को स्वास्थ्य रखने का बीड़ा उठाए हुए हैं। टीकाकरण की जिम्मेदारी सम्हालते हैं लेकिन वह सबसे सस्ता इलाज भी बच्चों को उपलब्ध कराते हैं। इन तक पहुंचना, परामर्श लेना भी सरल है। खन्ना चौराहा के पास यह मरीजों को निजी क्लीनिक में भी देखते हैं। इनकी फीस अन्य डॉक्टरों की तुलना में सबसे कम है। इनके बीमारी डायग्नोस करने का तरीका भी अलग है।


डॉ एपीएस गहरवार को अब भी लोग तलाश रहे
संजय गांधी अस्पताल में पदस्थ रहे डॉ एपीएस गहरवार सही मामलों में धरती के भगवान हैं। भले ही वह पद से रिटायर हो गए लेकिन उन्हें स्टाफ और मरीज नहीं भूल पा रहे। अभी भी अस्पताल में मरीज उन्हें ही तलाशते हुए पहुंच रहे हैं। डॉ गहरवार की सादगी और उनका मरीज के प्रति प्रेम जगह जाहिर है। डॉ गहरवार की बुराई प्रतिद्वंदी भी नहीं करते। डॉ गहरवार मरीजों का इलाज तो करते ही हैं। साथ ही बाहर और दूर से आने वाले मरीजों से फीस तक नहीं लेते थे। अस्पताल में वह समय के पंक्चुअल थे। उनके कारण ही एसजीएमएच का सर्जरी विभाग सबसे बेहतर विभागों में एक रहा।


डॉ गहरवार के नक्शे कदम पर डॉ मुकुंद
सर्जरी की जान अब डॉ मुकुंद पाण्डेय बने हुए हैं। संजय गांधी अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ कर्मचारियों के पसंदीदा सर्जन हैं। इसके अलावा मरीजों को भी इनका स्वभाव काफी पसंद है। इलाज में वह किसी से भी कम नहीं है। बेहतर सर्जन के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं। डॉ मुकुंद पाण्डेय मरीजों के प्रति सहज और सरल स्वभाव रखते हैं। यदि मरीज फोन पर भी अपनी समस्या बताता है तो उसे परामर्श देने से डॉ मुकुंद पाण्डेय नहीं चूकते। प्राइवेट में यदि दिखाने में मरीज असक्षम है तो उसे संयज गांधी अस्पताल में देखते हैं। कहीं भी किसी भी परिस्थिति में वह मरीज को देखने से नहीं चूकते हैं। यदि आपको बेहतर सर्जन की तलाश है तो डॉ मुकुंद पाण्डेय जैसा मिलना मुश्किल है।


मरीज को बचाने जान लगा देते हैं
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पदस्थ डॉ राकेश सोनी के बारे में अधिकांश लोगों को नहीं मालूम होगा। यह इमानदारी की एक मिशाल हैं। यह प्राइवेट प्रैक्टिस से दूर हैं। डॉ राकेश सोनी सीवीटीएस सर्जन हैं। दिल का आपरेशन करने में इन्हें महारत हासिल हैं। यह मरीजों के लिए ऐसे समर्पित रहते हैं कि उनकी जान बचाने कई दिनों तक सोते तक नहीं है। आपरेशन के बाद जब तक मरीज ही हालत ठीक नहीं हो जाती। तब तक वह घर तक नहीं जाते। डॉ सोनी विभाग में सर्जरी शुरू करने के लिए पूरे अस्पताल और प्रबंधन से लोहा ले चुके हैं।


दिल के डॉक्टर का दिल ही नरम है
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पदस्थ कार्डियोलाजिस्ट डॉ वीडी त्रिपाठी से हालांकि सभी पर्चित होंगे। डॉ वीडी त्रिपाठी के रीवा आने के बाद से ही दिल के आपरेशन और इलाज में रीवा का नाम रोशन हुआ। डॉ वीडी त्रिपाठी ऐसे चिकित्सक है जो मरीजों को देखने कभी भी उपलब्ध हो जाते हैं। डॉ त्रिपाठी का स्वभाव अन्य चिकित्सकों के मामले में बहुत ही सरल और सहज है।
इनके शहर में कहीं नहीं है पैथालॉजी और न ही सेवाएं देते हैं
संजय गांधी अस्पताल के पैथालॉजी विभाग में पदस्थ एसके सूत्रकार पैथालॉजिस्ट, डॉ प्रियंका अग्रवाल, डॉ गीता कोल प्राइवेट प्रैक्टिस से दूर हैं। यह डॉ सिर्फ अस्पताल में ही सेवाएं देते हैं। इनका किसी भी पैथालॉजी से संपर्क भी नहीं है। अस्पताल के सूत्रों की मानें तो यह सिर्फ अस्पताल में ही अपनी सेवाएं देकर ही खुश हैं।


5 हजार से अधिक आपरेशन कर चुके डॉ मोपाची
संजय गांधी अस्पताल के ईएनटी विभाग में पदस्थ एचओडी डॉ सुरेन्द्र मोपाची ऐसा नाम है जो हर दिन कीर्तिमान बनाते हैं। छोटे से बड़े आपरेशन कर मरीजों को जान बचाते हैं लेकिन कभी खुद को शाबित करने की कोशिश नहीं की। अब तक इनके नाम 5 हजार से अधिक छोटे बड़े आपरेशन कर चुके हैं। संजय गांधी अस्पताल में वर्ष 2007 से सेवाएं दे रहे हैं। इनके कारण ही ईएनटी विभाग में मरीजों की लाइन लग रही है। कई कठिन आपरेशन कर चुके हैं।


तुरंत मरीज के पास पहुंचते हैं डॉ असाटी
संजय गांधी अस्पताल में टीबी और चेस्ट विभाग में डॉ आशुतोष असाटी पदस्थ हैं। यह भी अपने मरीजों के प्रति काफी सजग रहते हैं। कोरोना के समय इन्होंने मरीजों को बचाने के लिए जान लगा दी थी। अब भी किसी भी वार्ड से मरीजों के लिए एडवाइज मांगने और जांच के लिए जैसे ही कॉल पहुंचता है। वह तुरंत मरीज के पास पहुंच जाते हंै। ओपीडी में समय पर बैठना और मरीज देखना इनके रूटीन में है।