मेडिकल कॉलेज में दो दिनों तक चला यह अभियान, प्रतियोगिताएं भी हुईं, जब छात्र पुरस्कृत हुए तो खिल गए चेहरे
श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में दो दिनों तक नशामुक्ति जागरुकता अभियान चलाया गया। इस अभियान में लोगों को नशा से दूर रहने के लिए जागरुक तो किया ही गया। प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं में छात्र छात्राओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। पोस्टर, बैनर, स्लोगन आदि प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन किया और विजयी बने। शनिवार को विजेताओं को डीन और अधीक्षक ने पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाते ही छात्रों के चेहरे खिल उठे।
कार्यक्रम के दौरान कॉलेज के डीन ने कहा कि नशा ही समाज के नाश का कारण, इसे खत्म करना होगा
रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा के मनोरोग विभाग और कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग जन सशक्तिकरण विभाग के सहयोग से नशा मुक्त जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया। अधिष्ठाता डा सुनील अग्रवाल एवं अधीक्षक डॉ राहुल मिश्रा के मार्गदर्शन में यह अभियान चलाया गया। इसके अंतर्गत मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने विभिन्न गतिविधियां जैसे नुक्कड़ नाटक कर अस्पताल ओपीडी में आने वाले जनसमुदाय को नशा से मुक्ति के लिए जागरुक किया। महाविद्यालय प्रांगण में नशामुक्ति से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे पोस्टर , स्लोगन , भाषण , रंगोली इत्यादि का भी आयोजन किया गया। इसमें मेडिकल कॉलेज के छात्रों द्वारा सराहनीय प्रदर्शन किया गया । इन गतिविधियों में मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षकों ने भी नशामुक्ति पर अपने विचार व्यक्त कर कार्यक्रम को सफल बनाया। महाविद्यालय के डीन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ सुनील अग्रवाल ने नशा को नकारात्मक बताते हुए कहा कि आज यह हमारे बीच एक सामाजिक समस्या के रूप में मौजूद है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग आयु तक के लोग आज नशे से ग्रसित हैं। खासकर युवाओं में एक जाल की तरह फैला हुआ है और इससे बचने के लिए बहुत ही ठोस और सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। डॉ मनोज इंदुरकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि, इसके प्रभाव घातक हैं। हमारे शोध में तनाव, पीयर प्रेसर, वर्क लाइफ बैलेन्स जैसे कई कारण हैं, जो नशे को आगे बढ़ाते है, हमको अपने घरों में, आसपास के लोगों में, इससे संबंधित हानिकारक प्रभाव की जानकारी समय-समय पर देते रहने की आवश्यकता है। में अपनी बात रखते हुए अधीक्षक एवं संयुक्त संचालक डॉ राहुल मिश्रा ने कहा कि नशा मुक्ति के लिए नशा करने वाले व्यक्ति के साथ सहानुभूति का व्यवहार करना चाहिए। जिससे कि वह नशा न करने के लिए प्रेरित हो।
कार्यक्रम में मानसिक रोग के विभागाध्यक्ष डॉ निमिषा मिश्रा ने कहा कि किसी भी चीज का अति प्रयोग नशा है। नशा के अनेक स्वरूप है। आजकल नवयुवकों में इसका फैशन तेजी से बढ़ता जा रहा है। हमारे नवयुवकों की उर्जा रचनात्मक एवं नवोन्मेषी कार्यों में लगनी चाहिए परंतु झूठी आधुनिकता के नाम पर वह अपने जीवन के साथ खेल रहे हैं। साथ ही परिवार और समाज का भी विघटन कर रहे हैं। अगर हमे इससे बचना है तो 4 - डी को हमेशा अपनाना होगा । कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में डॉ सुनील आहूजा कहते है कि एक स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार, समाज और देश की प्रगति पर विचार करता है वहीं नशे की लत उसकी सोचने और समझने की ताकत को छीन लेती है। वह अपने नशे की पूर्ति के लिए अनेक गलत कार्यों में लिप्त हो जाता है। परिवार व समाज आगे बढऩे के बजाय बिखरने लगता है। नशे का हानिकारक प्रभाव केवल नशा करने वाले व्यक्ति पर ही नहीं पड़ता बल्कि उसके परिवार और समाज पर भी पड़ता है। लोगों को नशा न करने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। डॉ संदीप सिंह ने विद्यार्थियों को बताते हर कहा कि, शिक्षा एवं सहयोग एक ऐसा माध्यम है जो कि हमें अनेक बुरी आदतों से बचाता है आप और हम मिलकर लोगों में नशा के हानिकारक प्रभाव का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए इसके प्रति जागरूकता लाने का प्रयास करें। कार्यशाला में उपस्थित डॉ चक्रेश जैन, डॉ अंशुमान शर्मा , डॉ उमेश पाठक , डॉ मेघा पांडेय , डॉ आकांक्षा सिंघल ने नशामुक्ति के लिए अपने विचार रखें और बताया कि नशे के प्रति जागरूकता फैलाएं और नशा मुक्त होने के लिए उन्हें प्रेरित करें। नशामुक्ति अभियान के तहत आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतियोगियों को पुरस्कृत भी किया गया। डीन और अधीक्षक ने पुरस्कृत किया।