शाम होते ही बंद हो जाता है एसजीएमएच का यह विभाग, फिर बाहर भेजे जाते हैं मरीज

एसजीएमएच की जांच सुविधाएं 24 घंटे जारी नहीं रहती है। महंगी और जरूरी जांच वाले विभाग में शाम होते ही ताला लग जाता है। मरीजों को बाहर भेजा जाता है। गरीबों को हजारों रुपए की जांच बाहर से करानी पड़ती है। करोड़ों रुपए का बजट सुविधाओं पर अस्पताल खर्च करता है। हजारों का स्टाफ यहां तैनात है लेकिन एक विभाग को 24 घंटे चालू कराने में प्रबंधन फेल हो गया है।

शाम होते ही बंद हो जाता है एसजीएमएच का यह विभाग,  फिर  बाहर भेजे जाते हैं मरीज
संजय गांधी अस्पताल file photo

रीवा। ज्ञात हो कि संजय गांधी अस्पताल में मरीजों के इलाज के नाम पर शासन करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है लेकिन इसका फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने निरीक्षण के दौरान जांच की सुविधाओं में विस्तार के निर्देश दिए थे लेकिन यहां इसके विपरीत काम हो रहा है। जांच प्रभावित की जा रही है। रात में होने वाली अधिकांश जांच के लिए मरीज परेशान हो हैं। लैब बंद रहती हैं। इसका सीधा असर गरीब मरीजों के परिजनों पर पड़ रहा है। वर्तमान में ऐसी हालत एसजीएमएच के माइक्रोबायलॉजी विभाग की हो गई है। यहां 24 घंटे सेवाएं नहीं दी जा रही है जबकि अधीक्षक एसजीएमएच ने इसके निर्देश दिए थे। यहां पर्याप्त स्टाफ मौजूद है फिर भी सेवाएं देने में हीलाहवाली की जाती है। सूत्रों की मानें तो अस्पताल में भर्ती मरीजों की परेशानी तब बढ़ जाती है जब रात में डॉक्टर जांच के लिए परेशान करते हैं। सेम्पल लेकर मरीज विभाग के चक्कर लगाते हैं लेकिन जांच नहीं होती। 

जांचें रात्रि में फिलहाल बंद हैं
माइक्रोबायलॉजी लैब में एएसओ, आरए, विडॉल, वीडीआरएल, यूपीटी, हेपेटाइटिस बी एवं सी, आरपीआर, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों की जांच की जाती है लेकिन यह सब रात में नहीं की जाती। यही वजह है कि मरीजों के परिजन जांच कराने के लिए निजी पैथालॉजी जाने के लिए मजबूर होते हैं। नि:शुल्क सेवाएं नहीं मिल पाती और इसी जांच के लिए बाहर हजारों रुपए गरीबों को चुकाने पड़ते हैं।
सिर्फ दिन में ही खुलता है विभाग
संजय गांधी अस्पताल में माइक्रोबायलॉजी विभाग सिर्फ दिन में ही खुलता है। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक ही विभाग खोला जाता है। इसके बाद यहां ताला लटक जाता है। लोगों को इसके कारण परेशानियां होती है। संजय गांधी अस्पताल में करोड़ों रुपए सुविधाओं के नाम पर खर्च हो रहे हैं। हजारों कर्मचारी और स्टाफ पदस्थ हैं लेकिन माइक्रोबायलॉजी के लिए प्रबंधन को स्टाफ नहीं मिल पा रहा है।