मुकुंदपुर चिड़ियाघर में ऐसा पहली बार हुआ, आपको भी जानकर मिलेगी खुशी

मार्तंड सिंह जूदेव चिड़ियाघर में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई वन्य जीव प्रेमी किसी को साल भर के लिए गोद लिया हो। लंबे समय से इसका इंतजार चिड़ियाघर प्रबंधन को था। लेकिन कोई भी बढ़कर सामने नहीं आया। अब जाकर एक वन्य जीव प्रेमी मिले हैं। जिन्होंने देवा को गोद लिया है। उनके साल भर का खर्च 1.10 लाख रुपए भी जमा कर दिया है।

मुकुंदपुर चिड़ियाघर में ऐसा पहली बार हुआ, आपको भी जानकर मिलेगी खुशी
चिडिय़ाघर प्रबंधन को फार्म और चेक सौंपते डाक्टर अरुण अग्रवाल

Rewa. मार्तंड सिंह जूदेव चिड़ियाघर में रखे गए वन्यजीवों को अब गोद लेने वाले वन्यजीव प्रेमी मिलना शुरू हो गए हैं। इसकी शुरुआत रीवा के डॉ अरुण अग्रवाल ने की है। रीवा में उनका नर्सिंग होम भी संचालित है। और उन्होंने ही साल भर का खर्च चिड़ियाघर के एक वन्य जीव का उठाने का निर्णय लिया है। चिड़ियाघर में देवा नाम के भालू का खर्च डॉक्टर अग्रवाल ने उठाया है । उन्होंने प्रबंधन को चेक भी सौंप दिया है। रीवा से पहली बार कोई ऐसा व्यक्ति सामने आया है जिन्होंने साल भर के लिए किसी वन्य प्राणी को गोद लिया है। अभी तक विंध्य को छोड़कर अन्य राज्यों व जिलों से आए पर्यटकों ने ही किसी न किसी को गोद लिया था। हालांकि बाहरी लोगों ने भी सिर्फ एक दिन का ही खर्च उठाया था। एक दिन के लिए ही गोद लिया था। अब डॉक्टर अरुण अग्रवाल ने आगे बढ़कर लोगों के एक मिसाल पेश कर दी है। उन्होंने ऐसे लोगों को आईना दिखाने का भी काम किया है जो सिर्फ वन्य जीव प्रेमी होने की बातें करते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर आगे नहीं आते। ऐसे लोगों की विंध्य में भरमार है।

कोई भी उठा सकता है खर्च

मार्तंड सिंह जूदेव चिड़ियाघर में रखे गए वन्यजीवों को कोई भी गोद ले सकता है। इसके लिए एक दिन से एक साल तक की फीस निर्धारित है। यह फीस जमा करने के बाद कोई भी वन्य जीव को गोद ले सकता है ।ऐसा करने के बाद चिड़ियाघर प्रबंधन गोद लेने वाले व्यक्ति को कई सुविधाएं भी उपलब्ध कराता है। उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न में भी छूट मिलती है। वन्यजीवों को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत ही साधारण है और शुल्क भी कम है। लेकिन इस छोटी राशि को भी देने में लोग आगे नहीं आते।