यह सड़क मंत्री जी की ड्रीम सड़क थी ऐसा फर्जी बड़ा हुआ कि अब फिर बन रही

सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार देखना है तो करहिया से नीम चौराहा मार्ग सबसे बड़ा उदाहरण है। 2.20 करोड़ की लागत से बनी सड़क चंद साल भी नहीं चली। अब फर्जीवाड़ा पर डामर पोता जा रहा है। डामरीकरण का काम किया जा रहा है। यह सड़क जनसंपर्क मंत्री राजेंद्र शुक्ल की ड्रीम सड़क में से एक है। इस सड़क पर ही ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी सेतु के अधिकारियों ने हाथ साफ कर दिया।

यह सड़क मंत्री जी की ड्रीम सड़क थी ऐसा फर्जी बड़ा हुआ कि अब फिर बन रही

रीवा। ज्ञात हो कि नीम चौराहा से करहिया मंडी तक सड़क और पुल दो हिस्सों में बन रहा है। एक हिस्सा पीडब्लूडी सेतु ने बनवाया और दूसरा हिस्सा पीडब्लूडी ने बनवाया। पीडब्लूडी सेतु ने चेलवा टोला से करहिया तक की सड़क का निर्माण करवाया था। यह सड़क 2.20 करोड़ की लागत से बनी थी। बीहर पुल के दोनों तरफ सड़क का निर्माण इतना घटिया हुआ कि यह साथ छोड़ दी। पुल और सड़क के बीच गहरी खाई बन गई है। निर्माण के दौरान मिट्टी की फिलिंग बराबर नहीं की गई। इसके कारण सड़क का हिस्सा काफी नीचे धंस गया है। यही वजह है कि पुल पर वाहन आसानी से नहीं चढ़ पाते। वहीं कांक्रीट सड़क के परखच्चे उड़ गए। इस सड़क पर ज्यादा ट्रैफिक भी नहीं था। फिर भी यह सड़क चलने लायक नहीं रह गई। चंद साल में ही यह सड़क उधड़ गई। कांक्रीट सड़क की यह हालत देखकर इसके भ्रष्टाचार का अंदाजा कोई भी असानी से लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया गया था। अब दोबारा इस सड़क को सुधारा जा रहा है। डामरीकरण कराया जा रहा है। इसमें भी गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
पूरी सड़क पर डामरीकरण किया जा रहा
2.20 करोड़ की लागत से चेलवा टोला से करहिया मंडी तक की सड़क को कांक्रीट बनवाया गया था। इसका निर्माण ही घटिया हुआ। इसमें पीडब्लूडी के अधिकारियेां की मिली भगत सामने आई थी। यही वजह है कि सड़क चंद साल भी नहीं चल पाई। अब पूरी सड़क को दोबारा डामरीकृत किया जा रहा है। सड़क पर डामर की परत चढ़ाई जा रही है। ऐसा तभी किया जाता है जब कांक्रीट सड़क निर्माण में गड़बड़ी होती है। तब डामर से उसकी खामियों को पाटा जाता है।
डामरीकरण में भी गुणवत्त्ता का आभाव
चेलवा टोला से करहिया मंडी तक चल रहे डामरीकरण में भी गुणवत्ता का आभाव देखा जा रहा है। यह सड़क भी चंद दिन नहीं टिक पाएगी। बहुत ही घटिया निर्माण कार्य किया जा रहा है। डामर की परत पतली बिछाई जा रही है। यह बिछाए जाने के बाद ही उधडऩे लगी है।
घटिया सामग्री का किया गया उपयोग
बेहतर कांक्रीट सड़क के निर्माण में टेंडर प्लस में जाना चाहिए था लेकिन यहां उलट ही हुआ। शुक्ला कांस्ट्रक्शन कंपनी ने चेलवा टोला से करहिया तक की सड़क को बनाने में 21 फीसदी बिलो टेंडर डाला। इतना ही नहीं यह टेंडर भी पीडब्लूडी सेतु के अधिकारियों ने पास कर दिया। बीहर पुल के किनारे सड़क पूरी तरह से फट चुकी थी। इसका कुछ हिस्सा सुधारा भी गया था। पुल के शुभारंभ के दौरान तत्कालीन रीवा कलेक्टर ने मिट्टी फिलिंग को लेकर आपत्ति भी जताई थी लेकिन पीडब्लूडी सेतु के अधिकारियों ने इसे नजर अंदाज कर दिया था। यही वजह है कि पुल का शुभारंभ होने के बाद सड़क काफी नीचे तक धंस गई थी। इस पर वाहन तक नहीं चढ़ पा रहे थे।