विद्युत विभाग की यह योजना फिर डगमगाई, कंपनी नहीं कर पा रही काम, एक्सटेंशन के लिए भेजा गया प्रस्ताव

आरआरआरडीएसएस योजना का काम करने वाली कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर पाई। समय सीमा खत्म हो गई। अब एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद जो काम पहले चरण में रह गया है। उसे कंपनी पूरा करने की कोशिश करेगी। हालांकि जिस तरीके से कंपनी काम कर रही है। उससे योजना पूरा होते नहीं दिख रहा है।

विद्युत विभाग की यह योजना फिर डगमगाई, कंपनी नहीं कर पा रही काम, एक्सटेंशन के लिए भेजा गया प्रस्ताव
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कंपनी के पास मैन पावर ही नहीं, बिना अधिकारी के ही चल रही कंपनी
डिप्टी सीएम ने लगाई थी फटकार फिर भी नहीं हुआ कोई सुधार
रीवा। आरआरआरडीएसएस योजना के तहत केन्द्र से रीवा को 574 करोड़ का बजट मिला है। यह योजना तीन सालों में पूरा करना है। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाना है। लाइन लॉस, बिजली चोरी पर रोक लगाना है। बिजली की समस्या से जूझ रहे लोगों केा राहत पहुचंाना है। खराब बिजली की लाइनों को दुरुस्त करने के साथ ही नए सब स्टेशन और फीडर तैयार करना है। कुल मिलाकर लोगों को बिजली के मामले में स्मार्ट बनाना है। बेहतर आपूर्ति करने का लक्ष्य रखना है। केन्द्र से बजट मिल गया है। इस राशि को खर्च करने के पहले विद्युत विभाग को सर्वे कर योजना तैयार करना था। विद्युत विभाग ने सर्वे करने के बाद टेंडर भी निकाला दिया। टेंडर में कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। फीडर का काम नासिक की अशोका बिल्डकॉन को मिला। इन्हें रीवा के साथ ही सतना और बालाघाट का टेंडर भी मिला है। इसके अलावा 33 केवी लाइन बिछाने का काम रेलवे विकास निगम लिमिटेड को मिला है। इन्हें सब स्टेशनों तक दोहरी 33 केवी लाइन खींचनी हैं। कंपनियों ने टेंडर पर काम लेने के बाद फील्ड में ठेके के कर्मचारियों को उतार तो दिया लेकिन उसे रफ्तार नहीं दे पाईं। आरडीएस योजना का काम अशोका कंपनी कर रही है। पूरे जिला में कंपनी ने काम तो शुरू कर दिया लेकिन इनके पास मैनपॉवर ही नहीं है। इसलिए छोटे छोटे ठेकेदारों को काम बांट दिया गया। दिसंबर तक काम कंपनी को पूरा करना था लेकिन कंपनी समय पर काम पूरा नहीं कर पाई। समय सीमा खत्म हो गई लेकिन प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। अब टेंडर एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद फिर से कंपनी को काम पूरा करने का मौका दिया जाएगा।
रीवा में यह काम है प्रस्तावित
रीवा में आरआरआरडीएसएस योजना के तहत 6 सब स्टेशन का निर्माण किया जाना है। 32 कैपेसीटर बैंक की स्थापना की जानी है। 189 किलोमीटर 33 केवी लाइन का विभक्तीकरण, 62 किला मीटर 33 केवी लाइन का इंटरकनेक्शन, 16 किमी मीटर 33 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना , 2421 किमी फीडर सेपरेशन 11 केवी लाइन कार्य, 1950 किलो मीटर नवीन एलटी लाइन, 5340 नंबर वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त, 428 किलोमीटर 11 कवी लाइन का विभक्तिकरण, इंटरकनेक्शन, 394 किलोमीटर 11 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना और 1858 किलो मीटर एलटी लाइन की तारों का केबल में बदलीकरण और केबल की क्षमता में वृद्धि किया जाना है। इस पर करीब 574 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।
कंपनियों ने छोटे छोटे ठेकेदार को बांट दिए काम
सौभाग्य योजना की ही तरह आरआरआरडीएसएस योजना का भी हाल हो गया है। सौभाग्य योजना में केबलीकरण, फीडर सेपरेशन के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था। अब ऐसी ही हालत आरआरआरडीएसएस योजना की भी हो गई है। अशोका बिल्डकॉन को फीडर सेपरेशन का काम मिला है लेकिन काम में कंपनी गति नहीं ला पा रही है। डिप्टी सीएम ने सर्किट हाउस में बैठक भी ली थी। कंपनी के मैनेजर को कड़ी फटकार भी लगाई थी। समय सीमा में काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। साथ ही मैनपॉवर बढ़ाने को कहा था। फटकार के बाद भी सुधार नहीं हुआ। इतना ही नहीं जिस मैनेजर को फटकार लगी थी। वह भी कंपनी छोड़कर कहीं और ज्वाइन कर लिया है। अब रीवा में अशोका के पास कोई अधिकारी तक नहीं है।
कागजों में सर्वे और मौके पर सब गोलमाल
कंपनियों ने रीवा के छोटे छोटे ठेकेदारों को काम देना शुरू कर दिया है। इसके कारण योजना की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। छोटे ठेकेदार सर्वे से हट कर काम कर रहे हैं। सर्वे में जो जगह और क्षेत्र निर्धारित किए गए थे। उससे हटकर लाइनें खींच रहे हैं। लोगों से मोटी रकम लेकर खंभों का भी हेरफेर कर रहे हैं। हद तो यह है कि सौभाग्य योजना को जिन अधिकारियों के कारण पलीता लगा था। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अब भी वही अधिकारी रीवा में पदस्थ हंै। उन्हीं की निगरानी में ही क्षेत्रों में काम हो रहा है। इससे आरआरआरडीएसएस योजना की गुणवत्ता का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।
शहर संभाग में केबलीकरण नहीं शुरु हुआ
डिप्टी सीएम ने रीवा शहर में जल्द से जल्द आरआरआरडीएसएस योजना के तहत केबलीकरण का काम शुरू करने के निर्देश दिए थे। अब तक शहरी क्षेत्र में केबलीकरण का काम शुरू नहीं हो पाया है। पीटीएस में सब स्टेशन भी स्थापित किया जाना था। अब तक पीटीएस में जमीन ही फाइनल नहीं हो पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में काम धीमा चल रहा है और शहरी क्षेत्र में काम शुरू नहीं हो पाया। कुल मिलाकर अधिकारी और ठेकेदार इस योजना को भी सौभाग्य योजना की तरह चौपट करने में ही तुल गए हैं।