गुस्ताखी की सजा: जंगल अब नहीं देख पाएगा कान्हा का यह बाघ, चिडिय़ाघर की बनेगा शान, अब यहीं रहेगा
कान्हा का एक बाघ लोगों के लिए खतरा बन गया था। जंगल से गांवों में घुस रहा था। कई बार सुधारने के लिए बाड़े में रखा गया लेकिन सुधार नहीं आया। निर्णय लिया गया कि अब बाघ को चिडिय़ाघर में ही रखा जाएगा। प्रबंधन के इस निर्णय के बाद अब यलो टाइगर खुली हवा में सांस नहीं ले पाएगा। अब यह मुकुंदपुर चिडिय़ाघर की शान बनेगा। देर रात बाघ को मुकुुंदपुर चिडिय़ाघर लेकर टीम पहुंच गई। फिलहाल रेस्क्यू बाड़े में रखा गया है।
चिडिय़ाघर में यलो टाइगर की संख्या बढ़ कर हो गई 7, तीन रेस्क्यू के हैं बाघ
रीवा। मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर में अब यलो टाइगर की संख्या बढ़ कर 7 हो गई है। यहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। पर्यटकों को बाघों का भरपूर दीदार हो रहा है। अब तक 6 बाघ ही थे। एक और बाघ कान्हा से पहुंच गया है। कान्हा से रेस्क्यू कर एक बाघ को मुकुंदपुर के लिए गुरुवार की सुबह रवाना किया गया था। देर रात बाघ को लेकर चिडिय़ाघर की टीम मुकुंदपुर पहुंची। इस बाघ को व्हाया रोड लाया गया। शुरुआत कान्हा की टीम ने की। कान्हा से आधी दूर तक कान्हा नेशनल पार्क की टीम लेकर आई। आधे रास्ते से चिडिय़ाघर की टीम ने रिसीव किया। इसके बाद का सफर मुकुंदपुर टीम ने तय किया। देर रात टीम बाघ को लेकर चिडिय़ाघर पहुंची। बाघ को केज से निकाल कर रेस्क्यू बाड़े में रखा गया। फिलहाल कुछ दिनों तक बाघ को क्वारेंटाइन रखा जाएगा। इस पर डॉक्टरों की 24 घंटे नजर रहेगी। जब तक बाघ चिडिय़ाघर की आबोहवा में घुलमिल नहीं जाता, तब तक इसे बाड़े में नहीं छोड़ा जाएगा। नए मेहमान के आने पर चिडिय़ाघर में उसका जोरदार स्वागत भी हुआ।
चिडिय़ाघर में बंगाल टाइगर की बयार
मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर में यलो टाइगर की संख्या बढ़ गई है। यहां यलो टाइगर की भरमार हो गई है। इनकी संख्या अब 7 पहुंच गई है। चिडिय़ाघर में पहले 6 बाघ थे। नए मेहमान के आने के बाद 7 हो गए हैं। चिडिय़ाघर में वन्या, शक्ति, अर्जुन, सरलीन, वीरा के अलावा दो रेस्क्यू कर लाए गए बाघ हैं। इसके अलावा तीन सफेद बाघ भी हैं। दो तेंदुओं के शावक भी यहीं पर पल रहे हैं।
बार बार कर रहा था गुस्ताखी
चिडिय़ाघर लाया गया बाघ कान्हा नेशनल पार्क में बार बार गुस्ताखी कर रहा था। जंगल छोड़कर बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंच जाता था। इसे कान्हा नेशनल पार्क की टीम आबादी वाले क्षेत्रों से खदेड़कर जंगल की तरफ करते करते थक गई थी। हालांकि इसका रुझान आबादी वाले क्षेत्रों में था। कई बार इसे रेस्क्यू कर बाड़े में भी रखा गया। हावभाव में बदलाव लाने की कोशिश की गई लेकिन जंगल में छोडऩे पर फिर वही हरकतें कर रहा था। अब तक किसी गांव वाले को नुकसान नहीं पहुंचाया था लेकिन भविष्य में आदमखोर होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता था। यही वजह है कि बाघ के हावभाव को देखते हुए इसे चिडिय़ाघर में ही रखने का निर्णय लिया गया है।
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बाघ की उम्र करीब साढ़े तीन साल के करीब है। नर बाघ है। कान्हा से लाया जा रहा है। बाघ पूरी तरह से स्वस्थ्य है। शुरुआत में इसे रेस्क्यू बाड़े में रखा जाएगा।
डॉ राजेश तोमर
चिकित्सक, मार्तण्ड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर मुकुंदपुर
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