33फ़ीसदी महिला आरक्षण को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी

18 से 22 सितंबर तक चलने वाले विशेष सत्र के बीच सरकार ने सरप्राइज दिया है। सोमवार की शाम को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 33 फ़ीसदी सीटों के आरक्षण वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई है।

33फ़ीसदी महिला आरक्षण को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी

 दिल्ली ।संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो चुका है। यह 22 सितंबर तक चलेगा। विशेष सत्र के पहले दिन महिला आरक्षण को लेकर पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मुद्दा उठाया इसी बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल की शाम को बैठक बुला ली गई। जिसमें बड़ा फैसला लिया गया । लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करने वाले विधेयक केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है ।सूत्रों ने यह जानकारी दी है. हालांकि, सरकार ने अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है । 

19 को नये संसद भवन में चलेगा सत्र 

 संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज (18 सितंबर) शुरू हुआ और 22 सितंबर को समाप्त होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पुराने संसद भवन की "हर ईंट" को श्रद्धांजलि दी। पुरानी इमारत में यह उनका आखिरी भाषण था। लोकसभा में अपने एक घंटे से अधिक लंबे भाषण में, मोदी ने भारत के लोकतंत्र की यात्रा को याद किया और कहा कि इस विरासत भवन में आखिरी दिन उन 7,500 से अधिक सांसदों को समर्पित होना चाहिए जिन्होंने आजादी के बाद से इस भवन में सेवा की है। पीएम मोदी ने पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी समेत उनके बाद के नेताओं की दूरदर्शिता की सराहना की, लेकिन लोकसभा को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 'वोट के बदले नकद' घोटाले की भी याद दिलाई।उन्होंने सदन को समृद्ध बनाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल, चन्द्रशेखर और लाल कृष्ण आडवाणी को भी याद किया।

गणेश चतुर्थी पर होगी शुरुआत 

पहली बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर कल (19 सितंबर) से सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में की जाएगी। विशेष सत्र की घोषणा राजनीतिक हलकों में एक आश्चर्य के रूप में सामने आई, क्योंकि पार्टियां इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही हैं। विपक्षी दलों ने एजेंडे का खुलासा किए बिना संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की । 

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यह होगा इसका असर

महिला आरक्षण विधेयक के अनुसार, संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों को आरक्षित हो जाएंगी। इस बिल के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें एससी-एसटी समुदाय से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. इन आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोटेशन प्रणाली से आवंटित किया जा सकता है।

 -लैंगिक समानता और समावेशी सरकार की ओर उठाए जा रहे जरूरी कदमों के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लंबे समय से संसद में लंबित है. 2010 में ही इस बिल को राज्यसभा से पारित किया जा चुका था, लेकिन अब तक लोकसभा में पेश नहीं किया जा सका।महिला आरक्षण बिल के अनुसार, महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण 15 साल के लिए ही होगा।

महिला बिल पास करने की थी मांग

संसद सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों के कई नेताओं ने महिलाओं के लिए आरक्षण पर जोर दिया. एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने सोमवार (18 सितंबर) को बिल पर कांग्रेस का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि पहली महिला प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कांग्रेस से थीं और यह कानून भी कांग्रेस की ओर से ही लाया गया था। सुप्रिया सुले ने कहा, ''हालांकि, संख्याबल की कमी के कारण विधेयक पारित नहीं हो सका.'' एनसीपी नेता और बीजेपी सहयोगी प्रफुल्ल पटेल ने भी सरकार से इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण बिल पास करने की अपील की थी।