अमहिया में ही वोट नहीं जुटा पाए रीवा के विकास पुरुष, लाड़लियों ने बचा लिया, वर्ना हार तय थी

रीवा में भाजपा ने भले ही 7 सीटों पर परचम लहरा दिया लेकिन रीवा के विकास पुरुष के लिए खतरे की घंटी भी बज गई है। विकास की दुहाई अब काम नहीं आएगी। शहर के लोगों ने कम वोटिंग की। ग्रामीण क्षेत्रों के भरोसे ही बढ़त बना पाए। लाड़लियां न होती तो राजेन्द्र शुक्ला को राजेन्द्र धूल चटा देते। कांग्रेसियों का भरपूर साथ नहीं मिला फिर भी राजेन्द्र शर्मा को बम्पर वोटिंग हुई। यही हाल सिर्फ रीवा शहर का ही नहंी है। सभी जगह लाड़लियों के दम पर ही भाजपाई जीते। मऊगंज विधायक को कमजोर कड़ी मान रहे थे लेकिन उन्होंने सब को चौका दिया। एक तरफ जीत हासिल की। उनकी रणनीति को कोई पकड़ ही नहीं पाया।

अमहिया में ही वोट नहीं जुटा पाए रीवा के विकास पुरुष, लाड़लियों ने बचा लिया, वर्ना हार तय थी

सेमरिया में सारे समीकरण फेल हो गए, प्रत्याशी की खराब छवि हार का कारण बनी
सिरमौर में दिव्यराज के पसीने छूट गए, बसपा सिर्फ जातीय समीकरण में फंसी थी वर्ना जीतना मुश्किल था

रीवा। विधानसभा चुनाव 2023 सभी को याद रहेगा। इस चुनाव में ऐसे परिणाम आए जो किसी ने सोचा भी नहीं था। भाजपा को भी 7 सीटें जीतने का अनुमान नहीं था। कई सीटों हाथ से निकलती हुई दिख रही थी। कर्मचारियों में भाजपा को लेकर जमकर विरोध था। ओपीएस मुद्दा बना हुआ था। हालांकि जब परिणाम आए तो पोस्टल वैलेट से ही भाजपा प्रत्याशी आगे निकल गए थे। ऐसे में ओपीएस का मुद्दा ही यहां पर धरासाई हो गया। भाजपा प्रत्याशियों को इसके बाद ईवीएम से निकले वोटों ने जिताया। जातीय समीकरण के हिसाब से जो मैदान में कंडीडेट उतरे से थे। उन्हें जोरदार झटका लगा। कईयों की जमानत जब्त हो गई है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा के बीच ही चला। दो सीटों पर जरूर बसपा प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दी लेकिन अंत में मात खा गए। इस मर्तबा रीवा में जीत का कोई और मंत्र नजर नहीं आया। सिर्फ लाड़लियों ने ही भाजपा की लाज बचाई और रीवा ही नहीं विंध्य सहित मप्र में भाजपा प्रत्याशियों को भारी बहुमत से जिता दिया। लाड़ली बहनों के वोट को हल्के में लेना कांग्रेसियों को भारी पड़ गया। कांग्रेस जुबानी परिवर्तन की लहर के फेर में फंस गई थी। वह यह अनुमान ही नहीं लगा पाई कि लाड़लियां साइलेंट वोटर बन कर सामने आएंगी। मतदान के बाद ही महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत ने भी सभी को चौंका दिया था। महिलाओं ने भाजपा को सिर्फ लाड़ली बहना योजना के कारण ही नहीं चुना। युवा वर्ग ने नौकरियों में महिलाओं का कोटा बढ़ाए जाने और संसद में महिला आरक्षण विधेयक के कारण भी भाजपा को वोट दिया। चुनाव के ठीक पहले मप्र सरकार और केन्द्र सरकार ने महिलाओं के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं और योजनाएं लांच की। इसका फायदा मिला।
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यह मुद्दे गेम चेंजर बने
- लाड़ली बहना योजना
- पीएम किसान सम्मान निधि
- एक परिवार एक रोजगार
- सस्ता सिलेंडर
- महिलाओं को नौकरी में आरक्षण
- महिला आरक्षण विधेयक बिल
- रीवा को इंडस्ट्रियल हब बनाने की घोषणा
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कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों को मिले मत
विधानसभा रीवा
राजेन्द्र शुक्ला भले ही विकास पुरुष कहलाएं लेकिन इस मर्तबा यदि लाड़लियों का साथ न होता तो वह संकट में थे। राजेन्द्र शर्मा को अपनों ने दगा दिया। इसके बाद भी वह रिकार्डतोड़ वोट जुटाने में सफल रहे। पिछले चुनाव में अभय मिश्रा ने पूरा जोर लगा दिया था। फिर भी 51 हजार 717 तक का ही आंकड़ा जुटा पाए थे। इस मर्तबा राजेन्द्र शर्मा ने इससे भी अधिक 56 हजार 342 वोट हासिल किए। अव्यवस्थित विकास से अब लोग ऊब चुके हैं। रीवा शहर  के अलावा राजेन्द्र शुक्ल को ग्रामीण क्षेत्रों से वोट मिले थे। जिससे वह प्रतिद्वंदी पर जीत का अंतर बना सके। यह इन्हें समझना होगा।
प्रत्याशी                 2018        2023
राजेन्द्र शुक्ला        69806        77680
अभय मिश्रा           51717        --
राजेन्द्र शर्मा              --        56341
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सिरमौर विधानसभा
सिरमौर में जातीय समीकरण में बसपा ने खूब वोट बटोरे। मुख्य मुकाबला बसपा और भाजपा के बीच ही रहा। इस मर्तबा सिरमौर से भाजपा प्रत्याशी दिव्यराज सिंह को एढ़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। यहां भी दिव्यराज को लाड़लियों का ही साथ मिला। यहां लाड़ली बहनों ने बढ़चढ़ कर वोट दिया था। इसी के भरोसे ही दिव्यराज की नैया पार हो पाई। इनका वोट काटने के लिए जातिगत मुद्दे यहां खूब हावी रहे। पार्टीगत और जातीय वोट में दिव्यराज यहां पर मार खा गए।
प्रत्याशी                          2018        2023
दिव्यराज सिंह भाजपा       49443        54875
डॉ अरुणा तिवारी कांग्रेस    36042        --
रामगरीब  बसपा/कांग्रेस    18466        35560
बीडी पाण्डेय बसपा                  --        41085
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सेमरिया विधानसभा
सेमरियाविधान सभा में कंाग्रेस के अभय मिश्रा के चक्र ब्यूज में भाजपा प्रत्याशी फंसते गए। राजेन्द्र शुक्ल ने भी सेमरिया में खूब जोर लगाया। यूपी के मुख्यमंत्री की सभा भी हुई लेकिन अभय मिश्रा को मात नहीं दे पाए। यहां लाड़लियों का वोट तो मिला लेकिन केपी त्रिपाठी अपनी बाहुबली छवि के कारण लोगों का प्यार नहीं पा पाए। अभय मिश्रा ने सेमरिया में विकास की नींव रखी थी। सेमरिया में जो भी काम दिख रहे हैं, वह उनके कार्यकाल के दौरान ही हुए। केपी सिर्फ अपने कार्यकाल में विवादों में ही रहे। जीतने के बाद विवादित चेहरे के रूप में सामने आए। लोगों को इनसे बेहतर रिस्पांस भी नहीं मिल रहा था। यही वजह है कि अभय मिश्रा को लोगों ने हाथों हाथ लिया। इसके अलावा बसपा प्रत्याशी ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया। वोट काटे।
प्रत्याशी                       वर्ष 2018    2023
केपी त्रिपाठी भाजपा       47889        55387       
पंकज सिंह बसपा           38477        44158
त्रियुगी नारायण कांग्रेस    40113        --
अभय मिश्रा कांग्रेस              --        56024
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देवतालाब विधानसभा
शुरुआती दौर में भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम को लेकर लोगों में गुस्सा देखने को मिला। इसके बाद लाड़ली बहना योजना ने यह गुस्सा गायब कर दिया। महिला वोटरों ने जमकर भाजपा के पक्ष में वोट किए। यही वजह है कि पिछली मर्तबा मिले वोट से कहीं ज्यादा इस मर्तबा मत मिले। विधानसभा अध्यक्ष रहते उनके प्रति कर्मचारियों, अधिकारियों में भले ही गुस्सा था लेकिन क्षेत्र में विकास कार्य को इन्होंने गति दी। इसका फायदा भी मिला। सड़कों का यहां जाल बिछाया गया। स्कूल, कॉलेजों पर भी काम हुआ। सीमा जयवीर सिंह को पार्टी बदलना भारी पड़ गया।
प्रत्याशी                          वर्ष 2018    2023
गिरीश गौतम भाजपा        45043        63722
विद्यावती पटेल कांग्रेस        30383        --   
सीमा जयवीर सिंह बसपा    43963        14152
पद्मेश गौतम कांग्रेस                  --        39336       
               
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त्योंथर विधानसभा
त्योंथर विधानसभा से सिद्धार्थ तिवारी को लोगों ने हाथों हाथ लिया। त्योंथर से उनके बाबा स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी कई मर्तबा विधायक रहे। इसका उन्हें फायदा मिला। पुराने वोटबैंक सिद्धार्थ की तरफ आए। इसके अलावा जातीय समीकरण में भी वह फिट बैठे। सवर्णों का वोट खींचने में सफल रहे। पीएम की सभा का भी यहां असर हुआ। सिद्धार्थ को सबसे अधिक सिम्पैथी वोट मिले। कांग्रेस से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से वह नाराज होकर बगावत कर दिए थे। अमहिया की राजनीति भी उनकी हार और जीत पर टिकी हुई थी। सिद्धार्थ को इसी का फायदा मिला। टिकट वितरण के बाद भाजपा में आपसी फूट पड़ गई थी। जिसे पाटने में भाजपा सफल हुई। पार्टी के वोट कट नहीं पाए। कांग्रेस के प्रत्याशी रमाशंकर सिंह तीन मर्तबा यहां से चुनाव हार चुके हैं। इसका भी साइड इफेक्ट रहा। वह सिर्फ जाति विशेष के वोट तक ही सिमट कर रह गए।
प्रत्याशी                               वर्ष 2018    2023
श्याम लाल द्विवेदी    भाजपा    52729        --
रमाशंकर सिंह    कांग्रेस         47386        56336
 सिद्धार्थ तिवारी राज भाजपा           --        61082
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मऊगंज विधानसभा
यहां से प्रदीप पटेल ने दोहरा निशाना साधा। प्रदीप पटेल की जीत का किसी ने अंदाजा ही नहीं लगाया था। कांग्रेस प्रत्याशी सुखेन्द्र सिंह बन्ना को सभी जीता मान रहे थे। प्रदीप पटेल का ऊपरी तौर पर विरोध तेज था लेकिन अंदरूनी तौर पर प्रदीप पटेल ने बाजी ही पलट दी। लाड़ली बहनों का साथ तो मिला ही साथ ही जातिगत वोट भी साधने में वह सफल रहे। चुनाव के ठीक पहले मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार मऊगंज को जिला बना दिया गया। इसका भी फायदा मऊगंज के प्रत्याशी प्रदीप पटेल को मिला। कांग्रेस यहां पर ओव्हर कान्फिडेंस पर आ गई थी। इसका खामियाजा उठाना पड़ा।
प्रत्याशी                          वर्ष 2018      2023
प्रदीप पटेल भाजपा             47753        70119
सुखेन्द्र सिंह बन्ना कांग्रेस    36661        62945
           
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मनगवां विधानसभा
नए चेहरे को लोगों ने हाथों हाथ लिया। नरेन्द्र प्रजापति की छवि सरल और सजह है। नया चेहरा भाजपा ने मैदान में उतारा था। जिसका फायदा भाजपा को मिला। मनगवां में एक तरफा वोटिंग हुई। पार्टी में ही शुरुआती दौर में नरेन्द्र प्रजापति की टिकट घोषणा के बाद पूर्व विधायक ने ही विरोध कर दिया था। हालांकि बाद में भाजपा ने डैमेज कंट्रोल कर लिया। इसका फायदा पार्टी को मिला। लाड़ली बहना योजना और पीएम किसान सम्मान निधि ने भी वोट भाजपा के लिए जुटाने का काम किया। बबिता साकेत को सवर्ण विरोधी की छवि का खामियाजा भुगतना पड़ा। 
प्रत्याशी                           वर्ष 2018    2023
पंचूलाल प्रजापति भाजपा    64488        --
बबिता साकेत कांग्रेस         45958        46842
नरेन्द्र प्रजापति भाजपा              --        78754
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विधानसभा गुढ़
गुढ़ विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही कांटे की टक्कर रही। यहां भाजपा को लाड़ली बहनाओं को वोट तो मिला ही साथ ही  नागेन्द्र सिंह को सहानुभूमि वाला वोट भी मिला। नागेन्द्र ङ्क्षसह ने पुरानी हार से सबक लिया। यही वजह है कि पिछला चुनाव जीतने के बाद पहले वाली गलतियां नहीं दोहराई। जाति विशेष वर्ग में फंस कर नहीं रहे। गुढ़ विधानसभा से भाजपा कंडीडेट नागेन्द्र सिंह को ब्राम्हणों को भी साथ मिला।लाडली बहना योजना का फायदा अधिक मिला। पिछले चुनाव से कहीं अधिक इस मर्तबा नागेन्द्र सिंह वोट जुटाने में कामयाब रहे। वहीं बात यदि कांगे्रस प्रत्याशी की करें तो उन्होंने भी कांटे की टक्कर दी। हर वर्ग का वोट बटारा। पिछले चुनाव में वह सपा से खड़े थे। तब 34 हजार वोट पाए थे। इस मर्तबा यह आंकड़ा दोगुना के करीब पहुंच गया। मामूली अंतर से ही हारे।
प्रत्याशी                          वर्ष 2018    2023
नागेन्द्र सिंह भाजपा             42451        68715
कपिध्वज सिंह,सपा/कांग्रेस    34664        66222
सुंदरलाल तिवारी कांग्रेस       32463        --