फ्री के चक्कर में खाली हो गया विंध्य का सबसे बड़ा ब्लड बैंक, कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों तक के लिए नहीं बचा

विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल का ब्लड बैंक खाली हो गया है। ताबड़तोड़ सिफारिशों में इतने फ्री ब्लड स्वीकृत हुए कि सारा बैंक ही खाली हो गया। अब कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों को ही खून के लाले पड़ गए। उनकी जान बचाना मुश्किल हो रहा है। ब्लड यूनिट की कमी को देखते हुए फ्री सेंसन पर फिलहाल रोक लगा दिया गया है। वहीं आने वाले दिनों में होली ने टेंशन और बढ़ा दी है। जल्द ही यदि कैंप आयोजित नहीं हुआ तो स्थितियां बिगड़ जाएंगी।

फ्री के चक्कर में खाली हो गया विंध्य का सबसे बड़ा ब्लड बैंक, कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों तक के लिए नहीं बचा

सिर्फ ओ ब्लड ग्रुप ही है मौजूद, शेष सारे ग्रुप से ब्लड बैंक हुआ खाली
होली आने वाली है फिर बढ़ेंगी सड़क दुर्घटनाएं, टेंशन में आया प्रबंधन
रीवा। संजय गांधी अस्पताल का ब्लड बैंक विंध्य के सबसे बड़े ब्लड बैंक में सुमार है। यहां से हर दिन आधा सैकड़ा मरीजों का खून की आपूर्ति होती है।  पिछले कुछ दिनों से यहां सूखा पड़ा है। कई ब्लड ग्रुप में एक यूनिट ब्लड तक नहीं है। गरीबों के सामने अपनों की जान बचाने का संकट खड़ा हो गया है। थैलेसीमिया, कैंसर के मरीजों की जान आफत में है। ब्लड के लिए परिजन दर दर की ठोकर खा रहे हैं। उन्हें खून नसीब नहीं हो रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ी लापरवाही वार्डों और सीएमओ से फ्री ब्लड स्वीकृत करना है। लगातार हो रहे फ्री ब्लड स्वीकृति के कारण ही पूरा ब्लड बैंक ही खाली हो गया है। रक्तदान शिवर से सैकड़ों यूनिट ब्लड मिला था। कुछ महीने पहले ब्लड बैंक भरा हुआ था। महाकुंभ के दौरान और बाद में पूरा ब्लड बैंक ही खाली हो गया। वर्तमान समय में हालात खराब है। इसके बाद भी फ्री ब्लड लेने वालों की लाइन नहीं टूट रही है। इस फ्री ब्लड स्वीकृति के कारण कैंसर और थैलेसीमिया के मरीजों तक को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। शुक्रवार कोि थेलेसीमिया के एक मरीज के लिए ब्लड नहीं था। ब्लड बैंक प्रभारी ने बड़ी मशक्कत के बाद उपलब्ध कराया। 
एक दिन में 50 यूनिट की है डिमांड
एसजीएमएच में हर दिन करीब 50 यूनिट ब्लड की जरूरत होती है। यहां हर विभाग में खून की जरूरत होती है। यहां आने वाले मरीजों की संख्या अन्य अस्पतालों की तुलना में अधिक हैं। अधिकांश मरीज बाहर या दूसरे जिलों से आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से भी पहुंचते हैं। उन्हें ब्लड के लिए परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा परिजन ही मरीज को ब्लड नहीं देते। कई तरह की भ्रांतियों के कारण ही ब्लड की समस्या खड़ी हो जाती है। अस्पताल में पहुंचने के बाद हष्टपुष्ट व्यक्ति भी फ्री में ब्लड की तलाश में जुट जाता है। इसके कारण जरूरतमंदों के हिस्से का ब्लड कहीं और चला जाता है।
पर्याप्त रक्तदान शिविर नहीं लग पाए
ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में खून रक्तदान शिविर से पहुंचता है। पिछले दो महीनों से पूरा प्रशासनिक सिस्टम ही महाकुंभ की भीड़ सम्हालने में लगी थी। इसके पहले ही शिविर का आयोजन किया गया था। जो शिविर से ब्लड आया था। वह खत्म हो गया। अब फिर से शिविर की जरूरत आन पड़ी है। लगातार रक्तदान शिविर के आयोजन से खून की कमी जैसी समस्याएं नहीं बनती। तारतम्य टूटने से ही हालात बुरे हो जाते हैं।
होली में फिर बढ़ जाएगी डिमांड
ब्लड बैंक और अस्पताल प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी समस्या आने वाली है। कुछ दिनों बाद होली है। होली में सर्वाधिक एक्सीडेंट के मामले सामने आते हैं। दुर्घटना में घायलों को ब्लड की जरूरत पड़ती है। ऐसे में यदि ब्लड बैंक ही खाली रहेंगे तो घायलों को बचाने में भी परेशानियां आएंगी। यही वजह है कि ब्लड बैंक प्रभारी और अस्पताल प्रबंधन जल्द ही शिविर के आयोजन की तैयारी में जुटा हुआ है।


सिर्फ ओ ग्रुप है, शेष खाली
संजय गांधी अस्पताल के ब्लड बैंक में सिर्फ ओ ग्रुप के कुछ यूनिट ही हैं। इसके अलावा ए, बी, एबी ब्लड ग्रुप का टोटा पड़ा हुआ है। चंद ब्लड यूनिट से ही मरीजों की जान बचाई जा रही है। अन्य ग्रुपों की भरपाई एक्सचेंज में आने वाले ब्लड के भरोसे ही हो रहा है।
सिर्फ इन्हें फ्री में ब्लड देने के हैं निर्देश
अस्पताल में भर्ती मरीजों को नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराने के निर्देश है। थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों, कैंसर के मरीज, कैदी, लावारिस व्यक्ति, गायनी के ऐसे मरीज जिनके साथ डोनर नहीं रहते उन्हें नि:शुल्क ब्लड उपलब्ध कराने के निर्देश हैं। हालांकि इनकी संख्या फ्री ब्लड के लिए कम ही रहती है। अन्य मरीजों की ज्यादा रहती है। सभी सिफारिस में फ्री ब्लड की पर्ची लेकर ब्लड बैंक पहुंच जाते हैं। इसके बाद हुज्जतबाजी भी शुरू होती है।
इसलिए होती है दिक्कतें
सबसे बड़ी दिक्कत रक्तदान के प्रति लोगों में जागरुकता की कमी को लेकर है। हष्टपुष्ट व्यक्ति ही रक्तदान करने से डरता है। पढ़े लिखे लोग रक्तदान से ज्यादा कतराते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में भी कई तरह की भ्रांतियां हैं। इसके कारण भी रक्तदा नहीं करते। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने यदि रक्त की आवश्यकता बताई तो पहले खुद का रक्त देने की वजाय फ्री स्वीकृति की तलाश में जुट जाते हैं।
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ब्लड की कमी है। जल्द ही रक्तदान शिविर का आयोजन करेंगे। जिससे इस कमी को पूरा किया जा सके।
डॉ लोकेश त्रिपाठी, प्रभारी
ब्लड बैंक, संजय गांधी अस्पताल रीवा