सुपर स्पेशलिटी में एक आपरेशन क्या टला भोपाल तक मचा हड़कंप, सीएमई दौड़े चले आए, सब को हड़काया
सिर्फ एक ओपन हार्ट आपरेशन क्या रुका भोपाल तक हड़कंप मच गया। पहले डिप्टी सीएम ने क्लास लगाई। डीन श्याम शाह मेडिकल कॉलेज को चेतावनी दी फिर सीएमई दौड़े दौड़े रीवा चले आए। डॉक्टरों की क्लास लगाई। सीएमई ने सभी अधिकारियेां को जमकर हड़काया। साथ ही चेतावनी देकर गए हैं। साथ ही अस्पताल का भी निरीक्षण किए। बंद विभाग को जल्द से जल्द चालू करने का भी निर्देश दिया है।
ढ़ाई घंटे श्याम शाह मेडिकल कॉलेज और एसजीएमएच में रहे सीएमई
पहले अधिकारियों की बैठक ली फिर अस्पताल का निरीक्षण किए
रीवा। सोमवार को आयुक्त चिकित्सा शिक्षा तरुण पितोड़े निरीक्षण पर रीवा पहुंचे। दोपहर करीब ढ़ाई बजे वह मेडिकल कॉलेज पहुंचे। सभागार में डीन, अधीक्षक, एचओडी के साथ बैठक हुई। बैठक में निर्माण कार्य सहित अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की गई। बैठक में प्रमुख मुद्दा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सीवीटीएस विभाग ही रहा। यहां इक्यूपमेंट को लेकर चर्चा हुई। आपरेशन के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में इक्यूपमेंट तो खरीदे गए लेकिन जिस कंपनी की सर्जन ने डिमांड की थी। उस कंपनी के इक्यूपमेंट नहीं आए। इसी वजह से तय ओपन हार्ट सर्जरी टल गई थी। आपरेशन नहीं होने की जानकारी भोपाल तक पहुंची। भोपाल से लेकर रीवा तक हड़कंप मच गया। भोपाल से सीएमई तरुण पिथोड़े अचानक निरीक्षण पर सोमवार को रीवा पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद उन्होंने सब की क्लास लगाई। अल्टीमेटम देकर वह वापस लौट गए हैं। बैठक के दौरान सीएमई के अलावा डीन डॉ सुनील अग्रवाल, अधीक्षक डॉ राहुल मिश्रा, सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक डॉ अक्षय श्रीवास्तव, शिशु रोग विभाग से डॉ नरेश बजाज, पूर्व डीन डॉ मनोज इंदूलकर, डॉ पुष्पेन्द्र शुक्ला सहित अन्य चिकित्सक मौजूद रहे।
अकादमिक भवन और अस्पताल का किया निरीक्षण
सीएमई ने बैठक के बाद कॉलेज सहित नए अकादमिक भवन का भी अवलोकन किया। उन्होंने चिकित्सकों की उपस्थिति के लिए लगाए गए बायोमैट्रिक का अवलोकन किया। इसके बाद नए भवन का भी निरीक्षण किया। लेक्चर हाल सहित अन्य चीजें देखी। इसके बाद वह संजय गांधी अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले आकस्मिक चिकित्सा कक्ष का अवलोकन किया। यहां पर मरीजों के लिए कौन कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसका अवलोकन किया। जरूरी बदलाव के निर्देश दिए। यहां से वह तृतीय तल पर मौजूद मेडिसिन विभाग गए। पहले आईसीयू का निरीक्षण किया। मरीजों से मुलाकात की। दवाइयों आदि की उपलब्धता देखी। फिर सी और डी वार्ड का भी अवलोकन किया। वार्डों का निरीक्षण करने के बाद सीएमई यहां से रवाना हो गए। निरीक्षण के दौरान एजाइल कंपनी के कार्यकारी प्रबंधक पियूष शुक्ला, प्रशांत पाण्डेय भी मौजूद रहे।
इन दो मुद्दों पर ज्यादा रहा फोकस
सीएमई के निरीक्षण में सिर्फ दो ही मुद्दे थे। कार्डियक ओपन सर्जरी और दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट प्रमुख मुद्दे रहे। सीएमई ने कहा कि रीवा में ऐसी व्यवस्थाएं बनाई जा रही है कि यहां के मरीजों को इलाज के लिए कहीं बाहर न जाना पड़े। बैठक में ओपन हार्ट सर्जरी और किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर उपकरणों आदि की जानकारी सीएमई ने ली। बैठक में उन्होंने ओपन हार्ट सर्जरी के इक्यूपमेंट को लेकर चर्चा की। डॉ राकेश सोनी ने इक्यूपमेंट पर आपत्ति जताई थी। इसको लेकर भी चर्चा की गई। इसके अलावा निरीक्षण के दौरान मेडिसिन विभाग पहुंचने पर उन्होंने गैस्ट्रोलॉजी विभाग को जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए।
मचा रहा हड़कंप, साफ सफाई पर रहा जोर
सीएमई के रीवा आने की जानकारी लगने के बाद हड़कंप मचा रहा। संजय गांधी अस्पताल की साफ सफाई में स्टाफ लगा रहा। कंपनी के कर्मचारियों ने कोना कोना साफ कर डाला था। ओपीडी विभाग से लेकर सभी वार्डों में दो दिनों से ही साफ सफाई चल रही थी। सीएमई जब तक रहे तब तक कर्मचारियों को सांस लेने की फुरसत नहीं मिली। सभी को सफाई कार्य में झोंक दिया गया था। इसके अलावा सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त नजर आया।
डिप्टी सीएम ने लगाई थी डीन को फटकार
दो दिन पहले सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का निरीक्षण करने डिप्टी सीएम भी पहुंचे थे। इस दौरान भी ओपन हार्ट सर्जरी नहीं होने का मुद्दा सामने रखा गया था। इसी दौरान डिप्टी सीएम सीवीटीएस सर्जन की बात सुनने के बाद नाराज हुए थे। तब आपरेशन के लिए खून आदि की कमी की समस्या गिनाई गई थी। डिप्टी सीएम ने इस पर डीन को जमकर खरीखोटी सुनाई थी। उन्होंने दो टूक कहा था कि यह सारी व्यवस्थाएं बनाने की जिम्मेदारी आपकी है। अब डॉ राकेश सोनी आपको फोन करके किसी चीज की जानकारी नहीं देंगे। आप इन्हें फोन कर उपकरण, खून आदि की पूर्ति हुई या नहीं पूछेंगे। इस बैठक के बाद ही भोपाल तक हड़कंप मचा था।
कॉलेज में पानी तक की नहीं थी व्यवस्था
एक तरफ सीएमई की बैठक चल रही थी तो दूसरी तरफ कॉलेज के बाद पीने के पानी को लेकर हंगामा मचा था। सीएमई के इंतजार में लोग बैठे हुए थे। गर्मी के कारण लोगों का गला सूख रहा था। हद तो यह है कि कॉलेज में लोगों के लिए पानी तक की कहीं व्यवस्था नहीं थी। वाटर कूलर तो लगा था लेकिन उसमें से भी पानी नहीं आ रहा था। कॉलेज का स्टाफ तक बाहर से पानी लाकर पीने का मजबूर दिखा।