पानी नहीं मिला तो अधूरे में ही छोड़ दिया था बोर, केसिंग तक नहंी थी, मासूम के ऊपर से गिर गई मिट्टी
जनेह थाना अंतर्गत मनिका गांव के एक किसान की लापरवाही भारी पड़ गई। खेत में सिंचाई के लिए बोर कराया गया। पानी नहीं निकला तो ख्ुाला छोड़ दिया। उसी बोर में एक मासूम शुक्रवार की दोपहर 3.30 बजे गिर गया। अब उसे बचाने के लिए पूरा प्रशासनिक, पुलिस अमला लगा हुआ है। देर रात तक पोकलेन मशीन से खोदाई जारी रही। बोर से काटा डाल कर बच्चे के निकालने की कोशिश की गई लेकिन हाथ में सिर्फ कपड़ा ही लगा। एनडीआरएफ की टीम वाराणसी से पहुंच रही है। कलेक्टर, एसपी भी मौके पर डटे रहे। विधायक ने भी डेरा डाले रखा।

रीवा। मिली जानकार के अनुसार घटना शुक्रवार को दोपहर 3.30 बजे के आसपास की बताई जा रही है। मयंक आदिवासी पति विजय आदिवासी खेत में खेल रहा था। तभी उसका पैर फिसला और वह सीधे खेत में खुले बोर में जा गिरा। बोर में केसिंग पाइप तक नहीं थी। करीब 50 फीट गहरा बोर खुला छोड़ दिया गया था। सूत्रों की मानें तो खेत हीरामणि मिश्रा का बताया जा रहा है। हीरामणि मिश्रा ने कुछ महीनों पहले बोर कराया था। खेत में जिस जगह पर बोर कराया गया था। वहां पानी ही नहीं निकला। इसलिए उन्होंने आगे बोर नहीं कराया। अधूरे में ही उसे छोड़ दिया। बंद भी नहीं कराया। इतना ही नहीं इस बोर में केसिंग नहीं डाली गई। इसके कारण यह और खतरनाक बन गया। मिट्टी इसमें लगातार धंस रही थी। जिससे बोर का मुंह चौड़ा हो गया था। इसी बोर में मासूम मयंक आदिवासी पिता विजय आदिवास जा गिरा। इसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। साथ में खेल रहे बच्चों ने इसकी सूचना घर जाकर दी। फिर तो रोना पीटना मच गया। परिजन बेहतास होकर मौके पर पहुंचे। इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। जनेह पुलिस मौके पर पहुंची। फिर सूचना का क्रम आगे बढ़ता गया। कलेक्टर, एसपी को भी जानकारी दी गई। घटना के बाद तुरंत मौके पर रेस्क्यू आपरेशन शुरू कर दिया गया। देर रात तक रेस्क्यू का दौर जारी रहा।
पहले जेसीबी लगाई फिर पोकलेन बुलाई
बच्चे को बोर से निकालने के लिए पहले दो जेसीबी लगाई गई। जेसीबी ने शुरुआत की मिट्टी हटाई। जब जेसीबी फेल हुई तो आगे की खोदाई का काम पोकलेन ने की। 5 पोकलेन मशीनें बुलाकर खोदाई का काम आगे बढ़ाया गया। इसके अलावा 8 जेसीबी मशीनें भी लगाई गईं। मौके पर आक्सीजन सिलेंडर, मॉनीटर, कैमरा आदि सब कुछ लगाया गया। इसके बाद पूरा सेटअप बिठाया गया।
बोर में कैमरा डाला गया
मासूम की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक्सपर्ट की टीम को बुलाया गया। कैमरा नीचे पहुंचाया गया। कैमरे की मदद से बच्चे की स्थिति का पता लगाने की कोशिश की गई। कैमरे के लिए एक मॉनीटर भी बाहर लगाया गया था। रात में काम सुचारू रूप से चल सके इसके लिए लाइट आदि की व्यवस्था की गई थी।
बोर से निकला कपड़ा
बोर से काटा डाल कर बच्चे को निकालने की कोशिश भी की गई लेकिन टीम को सफलता नहीं मिल पाई। सूत्रों की मानें तो टीम के हाथ सिर्फ बच्चे का कपड़ा लगा। सूत्रों कीे मानें तो केसिंग पाइप नहीं होने से बच्चे के ऊपर मिट्टी भी गिर गई थी।
गरीब है परिवार, पिता करते हैं मजदूरी
सूत्रों की मानें तो मयंक आदिवासी के पिता विजय आदिवासी मजदूरी करके गुजर बसर करते हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उनमें एक मयंक भी है। मयंक सबसे बड़ा है। मयंक बोर में गिर गया। इसके बाद से पूरा परिवार बदहवास हैं। परिवार के सदस्यों का रोना रुक नहीं रहा है।
मौके पर कलेक्टर, एसपी, विधायक रात भर डटे रहे
घटना के बाद बचाव कार्य शुरू हुआ। सूचना मिलने पर विधायक त्योंथर सिद्धार्थ तिवारी, कलेक्टर प्रतिभा पाल, एसपी विवेक ङ्क्षसह मौके पर पहुंच गए। इसके अलावा कई थानों की पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी, एसडीआरएफ की टीम भी मौजूद रही। एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया है। वाराणसी से टीम पहुंच रही है। हालांकि देर रात 1 बजे तक टीम पहुंच नहीं पाई थी।
संभावनाएं कम जताई जा रही हैं
बच्चे के बोर में गिरने के बाद ऊपर से मिट्टी भी गिर गई है। जिस तरह के हालात मौके पर बने हुए हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि बच्चे के बचने की संभावना कम ही है। बोर की गहराई ज्यादा है। करीब 50 फीट से ज्यादा गहरा बोर है। बच्चे का मूव्हमेंट टीम को नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि रेस्क्यू आपरेशन को और तेज किया जा रहा है।
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रेस्क्यू अभियान जारी है। 45 से 50 फीट के बीच में बच्चा फंसा हुआ है।
प्रतिभा पाल
कलेक्टर, रीवा
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रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है। मैं यहीं पर हूं। कोशिश जारी है। प्रशासनिक अमला भी मौजूद है।
सिद्धार्थ तिवारी
विधायक, त्येंाथर