महिला शिक्षको ने डिप्टी सीएम के घर दिया धरना, डिप्टी सीएम ने शिक्षा मंत्री से की बात लेकिन नहीं बनी बात, काउंसलिंग आज
अतिशेष शिक्षकों को राहत नहीं मिली। काउंसलिंग आदेश आने के बाद महिला अतिशेष शिक्षकों ने फिर डिप्टी सीएम के निवास पर डेरा डाल दी। डिप्टी सीएम के कार के सामने बैठ गई। डिप्टी सीएम उन्हें उठाने की कोशिश करते रहे लेकिन वह तैयार नहीं हुई। डिप्टी सीएम ने शिक्षा मंत्री से बात करने की बात कही और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। तब जाकर महिला शिक्षक गाड़ी से सामने से हटीं। डिप्टी सीएम ने शिक्षा मंत्री से फोन पर चर्चा भी की लेकिन शाम तक कोई परिणाम सामने नहीं आया।
डिप्टी सीएम के गाड़ी सामने जमीन पर ही महिला शिक्षक बैठ गई
डिप्टी सीएम ने आश्वासन दिया, डीईओ ने समझाया तब मानीं
रीवा। ज्ञात हो कि प्रदेश भर में अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग की जा रही है। सभी विषयों की काउंसलिंग हुई लेकिन कहीं भी रिक्त पदों का पेच नहीं फंसा। माध्यमिक शिक्षक विज्ञान शिषय में रिक्त पद का पेच फंस गया। रीवा जिला में अतिशेष शिक्षकों के विरुद्ध पद ही नहीं बचे। दूसरे जिलों में पद रिक्त होने पर शिक्षकों को वहां की स्कूलें चयन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग बाध्य कर रहा है। वेतन रोकने का आदेश भी जारी कर दिया गया है। पहली काउंसलिंग में रिक्त पद नहीं होने पर शिक्षकों ने दूसरे जिलों की स्कूलों का चयन नहीं किया। इसके बाद सभी शिक्षक डिप्टी सीएम से मिलने उनके निवास पहुंच गई। डिप्टी सीएम ने आश्वासन दिया था। इसके बाद उम्मीद जगी कि काउंसलिंग मार्च तक के लिए स्थगित कर दी जाएगी या फिर कोई दूसरा विकल्प निकाला जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। डिप्टी सीएम के आश्वासन के बाद भी फिर अतिशेष शिक्षकों की नई काउंसलिंग तिथि 3 अक्टूबर को रख दी गई। साथ ही चेतावनी भी दी गई कि यदि शिक्षकों ने काउंसलिंग में स्कूलों का चयन नहीं किया तो उन्हें प्रशासनिक आदेश पर कहीं भी पदस्थ कर दिया जाएगा। वेतन भी रोक दिया जाएगा। इस आदेश के बाद अतिशेष महिला शिक्षकों की नींद उड़ गई। बुधवार को सभी महिला अतिशेष शिक्षक डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला के निवास पहुंच गई। मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी और सहायक संचालक भी मौजूद रहे। डिप्टी सीएम की गाड़ी के सामने ही सभी महिला शिक्षक धरने पर बैठ गई। जब डिप्टी सीएम बाहर लक्ष्मणबाग जाने के लिए निकले तो महिलाएं उनका रास्ता रोके बैठी थी। डिप्टी सीएम ने उन्हें उठाने और मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानीं। डिप्टी सीएम ने आश्वासन दिया। इसके बाद ही महिला शिक्षक गाड़ी के सामने से हटीं।
डिप्टी सीएम ने की शिक्षा मंत्री से बात
महिला शिक्षकों की परेशानियों को देखते हुए डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला ने शिक्षा मंत्री से फोन पर चर्चा भी की। उन्होंने शिक्षा मंत्री को अवगत भी कराया कि रीवा जिला में पद रिक्त नहीं है। महिला शिक्षक हैं। उनके छोटे छोटे बच्चे हैं। इतनी दूर पदस्थापना से वह परेशान होंगी। मार्च तक काउंसलिंग को रोक दिया जाए। इस दौरान कई पद रिक्त हों जाएंगे। तब कईयों की पदस्थापना रिक्त पदों पर हो जाएगी। शिक्षा मंत्री ने कुछ दिन पहले पीएम को भेजे गए सात ङ्क्षबंदुओं के प्रस्ताव को भी शिक्षा मंत्री को भेजा। उम्मीद थी कि शाम तक कोई पॉजिटिव रिजल्ट सामने आएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। शिक्षा विभाग की तरफ से कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया।
अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग आज
अतिशेष शिक्षक वर्ग 1 और 2 विज्ञान की काउंसलिंग की तिथि 3 अक्टूबर निर्धारित की गई है। व्याख्याता और उच्च माध्यमिक शिक्षकों की काउंसलिंग सुबह 11.30 बजे से 1.30 बजे तक आयोजित की जाएगी। इसेक अलावा उच्च श्रेणी शिक्षक विज्ञान और माध्यमिक शिक्षक विज्ञान की काउंंसलिंग दोपहर 2.30 बजे से आयोजित की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी अतिशेष शिक्षकों को काउंसलिंग में शामिल होने के निर्देश दिए हैं।
अतिथि शिक्षक भी परेशान
सरकार ने सभी शिक्षकों की परेशानियां बढ़ा दी है। रेग्युलर शिक्षकों को अतिशेष करके दूसरी स्कूलों में भेजा जा रहा है। इससे अतिथि शिक्षकों को बाहर किया जा रहा है। अतिथि शिक्षकों केा सरकार ने नौकरी देने का वायदा किया था। अब भाजपा सरकार उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रही है। इसके कारण अतिथि शिक्षक आंदोलन के लिए सड़क पर उतर आई है। हंगामा मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ अतिशेष शिक्षक भी सरकार के रवैये को लेकर परेशानी में फंसे हुए हैं। कई शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इसलिए बढ़ गई समस्याएं
स्कूलों में जब विज्ञान विषय के शिक्षकों की पदस्थापना की गई थी तब पर्याप्त पद थी। पद के हिसाब से ही शिक्षकों की पदस्थापना की गई थी। बाद में धीरे धीरे स्कूल शिक्षा विभाग ने सारे पद ही खत्म कर दिया। माध्यमिक में शिक्षकों की संख्या तीन कर दी। वहीं हाई स्कूलों में छात्र संख्या के हिसाब से सबसे अंतिम पद विज्ञान का रखा गया। यदि 140 से अधिक छात्र होते हैं तभी विद्यालय में विज्ञान का पद श्रजित किय जाएगा। यही वजह है कि छात्र संख्या घटने से विज्ञान के शिक्षक अब अतिशेष हो गए हैं। इसके अलावा यदि स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना की बात करें तो पद स्वीकृति के हिसाब से ही शिक्षक पदस्थ हैं। विषय मान छोड़ दे तो कोई भी शिक्षक अतिशेष नहीं है। विषयमान से ही स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों को अतिशेष करके बाहर का रास्ता दिखा रही है। ऐसा सिर्फ अतिथि शिक्षकों पर आने वाले खर्च के बजट को बचाने के लिए किया जा रहा है।