50 फीसदी कमीशन में हो रहा मप्र में काम, न्यायाधीश को पत्र लिखकर ठेकेदारों ने खोली सिस्टम की पोल

संविदाकार संघ का मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। मप्र के लघु एवं मध्यम श्रेणी संविदाकार संघ ने शासन के भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर निर्माण कार्यों और कमीशन में चल रहै कमीशनबाजी की वास्तविकता से रूबरू कराया है। मामले की जांच कराकर ठेकेदारों का भुगतान कराने की बात कही है।

50 फीसदी कमीशन में हो रहा मप्र  में काम, न्यायाधीश को पत्र लिखकर ठेकेदारों ने खोली सिस्टम की पोल
सोशल मीडिया में वायरल न्यायाधीश को लिखा गया पत्र

भाजपा सरकार पर ठेकेदार ने उठाए सवाल

ग्वालियर। मप्र के लघु एवं मध्यम श्रेणी संविदाकार संघ ग्वालियर का एक पत्र जमकर वायरल हो रहा है। इस लेटर मे छोटे और पेटी कान्टेक्टरों का दर्द बयां किया गया है। सरकार में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और भुगतान की पोल यह वायरल पत्र खोल रहा है। पत्र में निर्माण कार्यों और कमीशन के परसेंटेज का भी जिक्र किया गया है। जिसमें  स्पष्ट कहा गया है कि ठेकेदारों को निर्माण में समझौता करने के लिए मजबूर किया जाता है। ठेकेदार गुणवत्ता युक्त काम करना चाहते हैं लेकिन इतना अधिक कमीशन मांगा जाता है कि उन्हें समझौता करना पड़ रहा है। छोटे ठेकेदारों के भुगतान तक रोके जाते हैं। इस पत्र ने सरकार के पूरे सिस्टम की ही पोल खोल कर रख दी है। ठेकेदार ज्ञानेन्द्र अवस्थी ग्वालियर के नाम से पत्र वायरल हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश से मामले की जांच कराकर भुगतान कराए जाने की मांग की गई है।
वायरल पत्र में यह लिखा गया है
ज्ञानेन्द्र अवस्थी ने मुख्य न्यायाधीश मप्र उच्च न्यायालय ग्वालियर को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है कि मप्र में निर्माण कार्य करने वाले छोटे पेटी संविदाकारों का प्रदेश स्तरीय लघु एवं मध्यम श्रेणी संविदाकार संघ है। वर्ष 2012 में आस्तित्व में आए हमारे संगठन की सदस्य संस्थाओं ने प्रदेश में पिछले 10 सालो ंमें पेटी कान्ट्रेक्टर के तौर पर करीब 35000 किमी सड़क, 1500 छोटे बड़े भवन, 1 हजार से अधिक छोटे बड़े तालाब समेत कई सरकारी निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। बीजेपी की वर्तमान सरकार जब से आस्तित्व में आई है तब से लेकर अब तक सभी संविदाकारों का जीवन नरक की तरह हो गया है। लगभग हर जिले में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित हैं। किसी भी जिले में पुराने कार्यों का भुगतान करने के लिए कोई बजट नहीं आवंटित किया जा रहा है। विभागीय अधिकारी सरकार से राशि अप्राप्त होने की बात करते हैं। सरकार में कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। कुछ दलाल किस्म के लेाग सक्रिय हैं जो 50 फीसदी कमीशन लेकर भुगतान करा रहे हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि उनका भुगतान मूल ठेकेदार को प्राप्त होने वाले भुगतान पर निर्भर करता है। मूल ठेकेदार हमें निविदा मे स्वीकृत राशि का मात्र 40 फीसदी हिस्सा देकर कार्य कराते हैं। कुल स्वीकृत राशि में से 50 फीसदी राशि कमीशन के तौर पर बट जाती है। 10 फीसदी राशि मूल ठेकेदार रखते हैं। शेष 40 फीसदी में ही कार्य भी करना होता है और अपना परिवार भी पालना होता है।
सीएम के ओएसडी ने भी मांग लिए 50 फीसदी कमीशन
उन्होंने वायरल पत्र के माध्यम से बताया कि उनका एक प्रतिनिधि मंडल पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री से मिलकर पीड़ा बताई थी। मुख्यमंत्री ने भुगतान कराने का आश्वासन दिया था। ओएसडी को फोन भी किए, लेकिन ओएसडी से मिलने पर चुनावी वर्ष का हवाला देकर भुगतान की जाने वाली राशि का 50 फीसदी पार्टी के खर्च करने की बात कहकर निराश किया गया। ठेकेदार ने लिखा है कि पूर्व में 15 से 20 फीसदी का कमीशन प्रचलित था। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन 50 फीसदी कमीशन की मांग उन्हें गुणवत्ता से समझौता करने और प्रताडि़त करने के उद्देश्य से की जाती है। मुख्य न्यायाधीश से मामले की जांच कराकर भुगतान कराए जाने की मांग की गई है।
शोसल मीडिया में चल रहे इस पत्र की हमारी वेबसाइट पुष्टि नहीं करता और न ही इसके लिए जिम्मेदार है।