आरटीआई से सिर्फ 2 बिंदुओं की फीस जानकर उड़ जाएंगे होश, सिरमौर पॉवर जनरेटिंग कंपनी का कारनामा
सूचना का अधिकार अधिनियम का लोक जन सूचना अधिकारी ने मजाक बना दिया है। सिर्फ दो बिंदुओं की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी थी। इसके लिए 30 हजार रुपए का शुल्क जमा करने पर जानकारी देने का पत्र भेज दिया। अब आरटीआई कार्यकर्ता के होश उड़ गए हैं। इतनी भारी भरकम राशि शुल्क के रूप में अधिरोपित करने सभी अचंभित है।
अमरपाटन के अधिवक्ता ने मांगी थी जानकारी
30 हजार शुल्क का भेज दिया पत्र
रीवा। आपको बता दें कि अमरपाटन सिविल कोर्ट में अधिवक्ता पीयूष त्रिपाठी ने एक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड सिरमौर में 3 दिसंबर को लगाया था। इस आरटीआई के जरिए विभाग से सिर्फ दो बिंदुओं पर जानकारी चाही गई थी। विभाग ने जानकारी तो नहीं दी इसके पहले शुल्क जमा करने का पत्र जरूर अधिवक्ता के पास भेज दिया। जिसे देखकर अधिवक्ता के होश ही उड़ गए। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड सिरमौर के कार्यपालन अभियंता जो लोक सूचना अधिकारी हैं। उन्होंने पत्र पीयूष त्रिपाठी को 16 दिसंबर 2024 को भेजा ह। इसमें लिखा गया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 6(1) के तहत वांछित दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियां प्राप्त करने क लिए दस्तावेजों की छाया प्रतियों का शुल्क 30 हजार रुपए लेखा अध्ािकारी मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड सिरमौर रीवा के खाते में जमा कर रसीद की प्रति कार्यालय को प्रेषित करें। इसके बाद वांछित दस्तावेजों की छाया प्रतियां करवा कर उपलब्ध कराई जा सकें। साथ ही पत्र में लिखा है कि शुल्क जमा करने के बाद ही छाया प्रतियां करवाई जाएंगी। विभाग का इस तरह का पत्र देखकर अब अधिवक्ता के भी पसीने छूट रहे हैं। दो बिंदुओं की जानकारी देने के लिए इस तरह का पत्र किसी को भी हैरान कर दे। यह पत्र अधिवक्ता को जानकारी से दूर किए जाने का एक प्रयास भी कहा जा सकता है। आर्थिक रूप से परेशान कर विभाग जानकारी देने के मूड में नहीं है।
इन दो बिंदुओं पर मांगी गई थी जानकारी
अधिवक्ता पीयूष त्रिपाठी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पॉवर जनरेटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड सिरमौर से दो बिंदुओं पर जानकारी चाही थी। इसमें पहली जानकारी अप्रैल 2022 से नवंबर 2024 के मध्य टीएचपी सिरमौर एमपीपीजीसीएल में इक्यूपमेंट, मशीनरी इत्यादि की खरीदी किन एजेंसियों से की गई एवं उन्हें कितनी राशि का भुगतान किया गया। बिल की सत्यापित छायाप्रति मांगी गई। इसके अलावा अप्रैल 2022 से नवंबर 2024 के मध्य प्लांट मेंटीनेंस किन किन एजेंसियों के द्वारा किया गया। उन्हें कितनी राशि का भुगतान किया गयास। बिल की सत्यापित छायाप्रति प्रदान करें।
क्या कहता है कानून
आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देने के लिए शुल्क लेना वैध है लेकिन यह शुल्क वाजिब और न्याय संगत होना चाहिए। इतनी बड़ी राशि की मांग करना कानून के दुरुपयोग का मामला हो सकता है। जबकि आवेदन में स्पष्ट रूप से ईमेल में जानकारी मुफ्ट में उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई थी। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी और आम जनता को सूचना से दूर रखने की मानसिकता को उजागर करती है। यदि जानकारी अधिक पन्नों की होता उसे धारा 2(जे) के तहत निरीक्षण के लिए बुलाया जा सकता है या फिर इलेक्ट्रानिक माध्यम ईमेल, पेन ड्राइव इत्यादि में दी जा सकती है।
अधिवक्ता का यह कहना है
अधिवक्ता पीयूष त्रिपाठी ने कहा कि यह गरीब और मध्यमवर्गीय नागरिकों को जानकारी से वंचित करने की साजिश है। लोक सूचना अधिकारी की यह मांग आरटीआई कानून की आत्मा पर हमला है।