सुपर की बदहाली जान कर रह जाएंगे दंग, यहां 11 महीनों से नहीं हुआ है दिल का आपरेशन

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दिल की सर्जरी बंद है। यह जानकारी आप को और भी चौंका देगी। आप भी यहां की बदलहाली सुन कर प्रबंधन और नेताओं को कोसने से नहीं चूकेंगे। 11 महीनों से यहां एक भी ओपन हार्ट, बायपास सर्जरी नहीं हुई। 17 जनवरी को अंतिम सर्जरी हुई थी। इसके बाद सिर्फ लोगों को धोखा दिया जा रहा है। मरीजों को बाहर रेफर कर रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन और नेताओं ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की मंशा पर ही पानी फेर दिया है।

सुपर की बदहाली जान कर रह जाएंगे दंग, यहां 11 महीनों से नहीं हुआ है दिल का आपरेशन
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रीवा। लोगों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के शुरू होने के बाद काफी उम्मीदें थी। हार्ट के मरीजों को बड़ी राहत भी मिली थी। एक समय था जब कार्डियक विभाग में डॉक्टरों की भरमार थी। अब एक एक कर सब छोड़ रहे हैं। कई डॉक्टरों ने तौबा कर ली है। अब जो बचे हैं। उन्हें भी काम करने नहीं दिया जा रहा है। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग पर ताला लगाने की योजना बना रहे हैं। यही वजह है कि यहां कार्डियोलॉजी विभाग में आपरेशन के लिए उपकरण और स्टाफ तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। सुनकर ताज्जुब होगा कि सुपर स्पेशलिटी ने प्रदेशभर में आपरेशन के मामले में रिकार्ड बनाया था। अब वह अस्पताल आपरेशन नहीं कर पा रहा है। 11 महीनों से एक भी दिल का आपरेशन नहीं हुआ है। अस्पताल की सेवाएं पूरी तरह से ठप पड़ गई है। सीटीवीएस विभाग के पास एक भी काम ही नहीं है। पेसमेंकर इम्प्लांट कैथलैब में कैथेटर बेस्ड प्रोसीजर से किए जा रहे हैं। बड़े आपरेशन बंद है। अब इससे सुपर स्पेशलिटी की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां आने वाले मरीजों को बाहर रेफर किया जा रहा है। मरीज लुट रहे हैं। बाहर से आपरेशन कराकर लाखों गवांने के बाद भी कई मरीज फिर से सुपर में भर्ती हैं। इन्हें सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। डॉक्टर हैं लेकिन स्टाफ और उपकरण की कमी के कारण आपरेशन नहीं कर पा रहे हैं। हालात ऐसे ही रहे तो सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में ताला लगना तय है।
17 जनवरी 2023 को हुई इनकी अंतिम सर्जरी
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अंतिम दिल की सर्जरी 17 जनवरी 2023 को हुई थी। 17 जनवरी को सीटीवीएस सर्जन ने 48 साल की मीना केवट और 21 साल के अंकित कोल की ओपन हार्ट सर्जरी की थी। इसक बाद से किसी भी मरीज का आपरेशन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नहीं किया गया। तब से लेकर अब तक 11 महीने का समय गुजर गया है। एक भी सर्जरी नहीं हुई। 
यह बड़े आपरेशन नहीं हो रहे हैं
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी, वाल्व रिस्पेसमेंट, बायपास सर्जरी, बच्चों के दिल का आपरेशन, दिल में छेंद का आपेरशन, नहीं हो रहा है। इसके अलावा फेफड़ों में गांठ, लंग्स का कैंसर का आपरेशन भी यहां संभव है लेकिन उपकरण के आभाव और स्टाफ की कमी के कारण सब ठप है। योग्य डॉक्टर हैं लेकिन उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। सिर्फ मरीजों की जांच तक ही सीमित है।
सिर्फ यह काम हो रहे हैं
सुपर स्पेशलिटी में छोटे छोटे आपरेशन किए जा रहे हैं। यह आपेरशन कैथ लैब में कार्डियोलॉजिस्ट ही कर लेते हैं। कार्डियोलाजिस्ट कैथ लैब में ही कैथेटर बेस्ड प्रोसीजर से पेसमेकर इम्प्लांट जैसे आपरेशन कर रहे हैं। इसी से सुपर स्पेशलिटी को झूठी वाहवाही दिलाई जा रही है। इसके अलावा सीटीवीएस सर्जन जो आपरेशन ओटी में करते हैं, वह सारी प्रक्रिया बंद है।
बच्चों के दिल का भी यहां आपरेशन संभव है
हद तो यह है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सीटीवीएस सर्जन भी हैं, जो हर तरह के दिल के आपरेशन करने में सक्षम हैं। यहां दो डॉक्टर हैं। दोनों ही योग्य है, लेकिन इनका उपयोग अस्पताल प्रबंधन नहीं कर पा रहा है। बच्चों के दिल का आपरेशन भी रीवा में संभव है। इसके बाद भी यहां बच्चों के आपरेशन के लिए बाहर भेज दिया जाता है। जबलपुर, भोपाल, इंदौर रेफर किया जाता है। बच्चों के दिल का आपरेशन सिर्फ इक्यूपमेंट की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन उपकरण और आपरेशन में लगने वाले सामान नहीं दिला पाता।
इन मरीजों को भी यहीं मिल जाए इलाज
यदि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की समस्याएं खत्म हो जाएं। पर्याप्त स्टाफ और इक्यूपमेंट उपलब्ध हो जाए तो यहां लंग्स कैंसर के भी आपरेशन संभव है। फेफड़ों की गांठ का आपरेशन भी सीवीटीएस के सर्जन कर सकते हैं। वर्तमान में डॉक्टर दिमाग, हाथ पैरों की दबी नसों का ही आपरेशन कर पा रहे हैं।