युवा दरकिनार, पार्टियों ने बुजुर्गों पर ही लगाया दांव, इस मर्तबा घट गए युवा उम्मीदवार

इस विधानसभा में युवा उम्मीदवारों की संख्या कम हो गई है। पार्टियों ने भी पॉलिसी पर कायम नहीं रहे। युवाओं को दरकिनार कर बुजुर्गों पर दांव लगाया। सत्ता सुख के चक्कर में सारी नीति रीति किनारे कर दी गई। उम्र दराज नेताओं की भीड़ ज्यादा है। युवा गिनती के हैं। उसमें भी 30 साल से कम वाले नजर नहीं आ रहे। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में दावेदारों की लिस्ट पर नजर डाले तो वर्ष 2018 में 12 उम्मीदवार ऐसे थे जो 30 वर्ष से कम के थे। इस मर्तबा ढूढ़े नहीं मिल रहे।

युवा दरकिनार, पार्टियों ने बुजुर्गों पर ही लगाया दांव, इस मर्तबा घट गए युवा उम्मीदवार
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रीवा।  विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट वितरण को लेकर सिर फुटौव्वल चल रहा है। कांग्रेस, भाजपा पार्टियों में टिकट को लेकर बगावत चल रही है। पार्टियों ने फार्मुला बनाया था कि बुजुर्गों को टिकट नहीं देंगे लेकिन जब सत्ता की बारी आई तो सारे फार्मूले किनारे कर दिए गए।  उम्र दराज नेताओं को भी मैदान पर उतार दिया गया। कई विधायकों को रिपीट किया गया है। जिनका रिपोर्ट अच्छी नहीं थी, उन्हें भी पार्टियों ने फिर मौका दे दिया। पार्टी में युवा चेहरे भी थे जिन्हें तवज्जो नहीं दी। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव से युवाओं ने भी दूरियां बना रखी है। सिर्फ वोटर बन कर रह गए हैं। निर्दलीय मैदान में भी उतरने वालों की संख्या कम ही है। इसमें युवा और कम है। अब तक जितने भी फार्म भरे गए उसमें युवा चेहरा तलाशना पड़ रहा है। अधिकांश पुराने ही नजर आ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में नए और युवा चेहरों की बाढ़ थी।

विस चुनाव 2018 में यह थी स्थिति
विधानसभा चुनाव 2018 पर नजर डाले तब युवा ज्यादा जोश में थे। देश बदलने की सोच कर चुनाव मैदान पर कूद पड़े थे। तब 158 प्रत्याशियों ने चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था। इसमें 20 से 30 आयु वर्ग के 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इसके अलीावा 31 से 40 की आयु पार करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 36 रही।  इसी तरह 42 से 59 वर्ष वाले उम्मीदवार 91 के करीब है। 60 प्लस वाले 19 के करीब रहे। इस मर्तबा चुनाव लडऩे वालों की संख्या 100 के पार भी जाती हुई नहीं दिख रही है। अभी तक सिर्फ 55 उम्मीदवारों ने ही नामांकन फार्म दाखिल किया है।
सिर्फ टिकट उन्हें मिली जो करोड़पति हैं
इस मर्तबा चुनाव में कम उम्र के उन्हीं नेताओं को पार्टियों ने तवज्जो दी है जो चुनाव का खर्च उठा सकते हैं। घर से मालदार और करोड़पति हैं। मैदानी कार्यकर्ताओं को किसी ने पूछा तक नहीं। कुछ पैराशूट से उतरे नेताओं को टिकट दे दी गई है। आप पार्टी ने कुछ चेहरों को मौका दिया है लेकिन वह रीवा में रहे ही नहीं।  उन्हें यहां की भौगोलिक स्थिति के बारे में तक नहंी मालूम लेकिन वह मैदान में है।