एसआई बृजराज ने टीआई हितेंद्र के सिर पर तान रखी थी पिस्टल

सिविल लाइन थाना प्रभारी हितेंद्रनाथ शर्मा अब खतरे से बाहर हैं। बीती रात ही जबलपुर व भोपाल के चिकित्सकों के दल ने उनके सीने में धंसी गोली को निकाल लिया। शरीर से रक्त स्त्राव भी बंद हो गया है। ऐसे में, उनकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है। उनके शुभचिंतक परिजन, मित्र आदि दूर से ही उनसे मिल रहे हैं। चेतना में होने के कारण वह संकेतों से सब ठीक होना बता रहे हैं।

एसआई बृजराज ने टीआई हितेंद्र के सिर पर तान रखी थी पिस्टल
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रीवा। हितेंद्रनाथ को स्वस्थ्य देख अब पुलिस विभाग ने राहत की सांस ली है। वहीं, आरोपी एसआई बृजराज सिंह को शुक्रवार के दिन जिला न्यायालय पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। गौरतलब है कि गत गुरुवार की दोपहर 3 बजे के लगभग एसआई बृजराज ने टीआई हितेंद्रनाथ शर्मा को 9 एमएम पिस्टल से गोली मार दी थी। यह गोली उनके बाये सीने और कंधे के बीच में लगी। गोली की आवाज सुनकर जब थाना के अन्य पुलिस कर्मी कक्ष में घुसे, तब दोनों हाथ में पिस्टल लिये एसआई बृजराज ने टीआई हितेंद्रनाथ के सिर को निशाना बनाकर पिस्टल तान रखी थी। मामला संगीन देख सहायक उपनिरीक्षक कौशलेंद्र प्रसाद शुक्ला ने बृजराज को धक्का दे दिया। तभी संत्री आरक्षक हितेंद्रनाथ को लेकर कमरे से बाहर आ गए और उक्त कक्ष को बाहर से बंद कर दिया। विंध्यबुलेटिन उक्त ब्यौरा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की जांच में निकलकर आया है। इस आधार पर पुलिस उप महानिरीक्षक मिथिलेश शुक्ला ने आरोपी एसआई बृजराज को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। अपने आदेश में डीआईजी शुक्ला ने लिखा है कि आरोपी का उक्त कृत्य आपराधिक मनोवृत्ति श्रेणी का है। अगर इस मामले में विभागीय जांच होती है तो पूरी आशंका है कि आरोपी एसआई द्वारा संंबंधित गवाहों को धमकाया जायेगा। इस लिहाज से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच एवं पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा पर डीआईजी ने उक्त बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिए हैं।

24 वर्ष के सेवाकाल में 74 बार मिली सजा
इस घटना के उपरांत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोपी एसआई के पूरे सेवाकाल के विवरण का अवलोकन किया। विंध्यबुलेटिन इसमें पाया गया कि एसआई बृजराज ङ्क्षसह 5 मई 1999 को पुलिस विभाग में पदस्थ हुआ था। अपने 24 वर्ष के सेवाकाल में एसआई बृजराज को 69 छोटी सजाएं दी चुकी हैं। जबकि वर्ष 2007, 2010, 2014, 2020 और 2021 में विभागीय जांच उपरांत 5 बड़ी सजाओं से भी दण्डित किया जा चुका है। इस प्रकार अपने पूरे सेवाकाल में एसआई को पुलिस विभाग द्वारा 74 बार दोषी मानते हुए विभागीय सजा दी गई।

376 व पाक्सो एक्ट में 90 दिन पूर्ण होने पर भी डायरी नहीं जमा की
घटना दिवस को ही पुलिस अधिकारियों ने घटना के कारणों संंबंधी जांच की तो पता चला कि दिनांक 20 जुलाई को पुलिस अधीक्षक के मौखिक आदेश पर एसआई बृजराज सिंह की पुलिस लाइन रीवा के लिए रवानगी रोजनामचे में दर्ज की गई थी। इस विषय को अपनी प्रतिष्ठा से जोडक़र एसआई बृजराज ने लंबित अपराधों की डायरी एवं जांच आवेदन पत्रों को सिविल लाइन थाना में जमा नहीं किया और न ही रवानगी ली। वहीं, अपराध क्रमांक 256/23, धारा 376, भादवि, 5/6 पाक्सो एक्ट में 90 दिन पूर्ण होने पर भी एसआई द्वारा डायरी नहीं जमा की गई, जिसके चलते 26 जुलाई को रोजनामचा में रिपोर्ट दर्ज हुई। इसको लेकर एसआई बृजराज का पारा और चढ़ गया और वह 27 जुलाई की दोपहर सीधे थाना प्रभारी हितेंद्रनाथ के कमरे में जा धमका।