इंट्री वसूली में बंध गए खनिज विभाग के हाथ, चाह कर भी खनिज माफिओं के खिलाफ नहीं चला पा रहे अभियान

शहडोल में खनिज माफिओं ने एक एएसआई की हत्या कर दी। इसके बाद प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है। खनिज माफिओं के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई चल रही है लेकिन रीवा में सब ठप है। इंट्री वसूली कर खनिज विभाग के इंस्पेक्टर असमंजस में फंस गए हैं। अभी तक कहीं भी जिला में धरपकड़ की कार्रवाई नहीं हुई है।

पड़ोसी जिला में पुलिसकर्मी की हत्या हुई प्रदेशभर में कार्रवाई चल रही लेकिन यहां सन्नाटा है
रीवा। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही शहडोल में एक एएसआई की रेत माफियाओं ने ट्रैक्टर से कुचल कर हत्या कर दी थी। इसके बाद से प्रशासन अलर्ट मोड पर है। खनिज माफिओं के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। पड़ोसी जिला शहडोल में ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई लेकिन रीवा में अभियान ठप है। जिला खनिज अधिकारी चुनाव के बाद क्षेत्रों के दौरे पर निकली तो जरूर लेकिन वह सिर्फ खानापूर्ति करने तक ही सीमित रहा। सूत्रों की मानें तो रीवा में नई खनिज अधिकारी के आने के बाद से खनिज माफियाओं की बल्ले बल्ले हो गई है। रीवा खनिज उत्खनन का गढ़ बन गया है। यहां 200 के करीब के्रेशर प्लांट संचालित हैं। कई खदानें चल रही हैं। इसमें से अधिकांश अवैध रूप से संचालित हैं। इसी का फायदा खनिज विभाग के अधिकारी उठा रहे हैं। एनजीटी ने पहले ही इन पर अवैध खदानों और क्रेशर प्लांट पर नकले कस दी है। ऐसे में अधिकंाश चोरी छिपे ही उत्खनन और परिवहन कर रहे हैं। इन सभी की जानकारी खनिज विभाग कोि है लेकिन र्कावाई नहीं होती। इसके पीछे वजह इंट्री वसूली मानी जा रही है। अवैध खनिज उत्खनन और परिवहन करने वालों ने मंथली इंट्री वसूली फिक्स करा ली है। इसके बाद से अब धड़ल्ले से उत्खनन और परिवहन हो रहा है। यही वजह है कि इतने बड़े कांड के बाद भी रीवा जिला में किसी तरह का अभियान शुरू नहीं हुआ।
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पर्सनल ड्राइवर साथ में रखती हैं
हद तो यह है कि जिला खनिज अधिकारी खुद का पर्सनल ड्राइवर भी रखती है। यह ड्राइवर सतना का बताया जाता है। सीधी में भी यही ड्राइवर था। ड्राइवर इनके हर काम का राजदार है। यही वजह है कि सरकारी ड्राइवर के होने के बाद भी प्राइवेट ड्राइवर रखा गया है। कहीं भी इसी प्राइवेट ड्राइवर के साथ ही जिला खनिज अधिकारी जाती हैं। सूत्रों की मानें तो फंसे हुए खनिज माफिओं को बाहर निकलने का रास्ता भी प्राइवेट ड्राइवर ही दिखाता है।
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इंस्पेक्टरों के पास खुद की गाडिय़ां और ड्राइवर
खनिज विभाग में पदस्थ खनिज इंस्पेक्टरों के पास खुद के पर्सनल वाहन हैं। इतना ही नहीं ड्राइवर भी यह मेंटेन करते हैं। एक इंस्पेक्टर ने तो अपनी काली कमाई छुपाने के लिए पहले ड्राइवर के नाम से ही गाड़ी खरिदवाई बाद में उसे अपने नाम से करवाया। खनिज इंस्पेक्टर अपने पर्सनल वाहनों से ही क्षेत्रों में दौरा करते हैं। विभाग में सिर्फ एक ही वाहन है। उस पर भी खनिज अधिकारी का ही कब्जा रहता है। ऐसे में खनिज इंस्पेक्टर निजी वाहनों से दौरा करते हैं और क्षेत्र से होने वाली कमाई से ही गाड़ी भी मेंटेन करते हैं।